"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ओ": अवतरणों में अंतर

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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
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!अर्थ
ओछे की प्रीत, बालू की भीत।
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ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर।
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ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।  
1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत।
ओखली में सिर देना।
| style="width:70%"|
ओढ़नी बदलना।  
अर्थ - बालू की दीवार मजबूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती।
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|2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर।
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अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
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|3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।  
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अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु‍ से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है।
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|4- ओखली में सिर देना।
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अर्थ - जोखिम मोल लेना।
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|5- ओढ़नी बदलना।  
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अर्थ - पक्की  सहेलियाँ बनाना।
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11:04, 23 मई 2011 का अवतरण

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                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
  • ओछे की प्रीत, बालू की भीत।
  • ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर।
  • ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।
  • ओखली में सिर देना।
  • ओढ़नी बदलना।