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<noinclude>'''सावधान''' इस प्रकार के दो साँचे हैं। यदि इस साँचे कोई परिवर्तन हो तो [[साँचा:भारत के प्रधानमंत्री]] में भी वही परिवर्तन करें।</noinclude>
==निकल==
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*भारत के प्रधानमंत्री
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**जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहरलाल नेहरू
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([[अंग्रेज़ी भाषा]]- Nickel) [[आवर्त सारणी]] के अष्टसमूह का [[तत्व]] है। निकल के पाँच स्थायी समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी [[द्रव्यमान संख्या|द्रव्यमान संख्याएँ]] 58, 60, 61, 62 और 64 हैं। निकल तत्व के पाँच अस्थायी समस्थानिक भी बनाए गए हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 57, 58, 62, 65 और 66 हैं।
==प्राप्ति==
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[[पृथ्वी]] की सतह पर निकल समुचित मात्रा में वर्तमान है और इसका परिमाण ताम्र, यशद या राँगे से अधिक है। परंतु इसके ऐसे सांद्र अयस्क बहुत कम है, जिनसे धातु निकाली जा सके। निकल का विश्व में सबसे समृद्ध अयस्क कैनाडा के सडबरी ज़िले में पाया गया है। यह [[लोहा]] और निकल की मिश्रित सल्फाइड है। न्यूकैलिडोनिया, सोवियत संघ तथा क्यूबा में भी समुचित मात्रा में निकल अयस्क से धातु निकाली जाती है। [[भारत]], चीन, नॉर्वे, [[अमरीका]] का अलास्का प्रदेश, वेनेज़ुएला, ब्राज़ील, [[मिस्र]] और [[यूनान]] में अल्प मात्रा में निकल अयस्क प्राप्य हैं।
 
==निर्माण==
निकल का निर्माण जटिल क्रिया है। कैनाडा में सडरी अयस्क का सर्वप्रथम संप्लवन क्रिया द्वारा संद्र किया जाता है। इसका भर्जन करने के पश्चात्‌ भट्ठी में प्रगलन करने पर अशुद्ध धातु और [[गंधक]] का मिश्रण मिलता है। इस मिश्रण से बेसमर संपरिवर्तक द्वारा 70 प्रतिशत निकल की मिश्रधातु प्राप्त करते हैं। यह अशुद्ध धातु अनेक औद्योगिक एवं घरेलू उपयोगों में आती है। विशुद्ध निकल विद्युद्विश्लेषण अथवा मांड प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होता है। विद्युद्विश्लेषण क्रिया में अशुद्ध निकल धनाग्र के रूप में प्रयुक्त होता है, जो निकल सल्फेट के विलयन में डूबा रहता है। शुद्ध निकल ऋणाग्र पर जमा हो जाता है। इस क्रिया में बचे अपद्रव्यों से अनेक बहुमूल्य धातुएँ (जैसे [[चाँदी]], [[स्वर्ण]], [[प्लैटिनम]] धातुएँ) निकाली जाती हैं। मांड प्रक्रिया में निकल धातु पर कार्बन मोनॉक्साइड की प्रक्रिया से निकल कार्बोनिल [Ni(CO)4] बनाते हैं। इसके वाष्प को अलग प्रकोष्ठों में ले जाकर 180 रू सें. [[ताप]] पर रखने से उसका विघटन होकर विशुद्ध निकल प्राप्त होता है।
==भौतिक गुण==
*निकल हलका [[पीला रंग]] लिए श्वेत रंग की धातु है।
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*निकल के गलन की गुप्त ऊष्मा 74 कैलरी, परमाणु व्यास 2.49 ऐंग्स्ट्रॉम<ref>(A)</ref>, आयनीकरण विभव 7.63, विद्युत्प्रतिरोध 6.84 (२०° सेंटीग्रेड) माइक्रोओह्म सेंमी. होता है।
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*निकल ऑक्साइड हलके रंग के अवक्षेप के रूप में प्रकट होता है। ऐमोनिया की क्रिया से यह [Ni(NH3)4]+ + आयन बनाता है जो जल में घुल जाता है।
==सल्फेट के यौगिक==
निकल पर सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा निकल सल्फेट बनाया जाता है। इसके क्रिस्टल (NiSO4, 7H2O) हरे रंग के होते हैं। ये 300° सें. [[ताप]] पर अजल निकल सल्फेट (NiSO4) में परिवर्तित हो जाते हैं। निकल क्लोराइड (NiCl2, 6H2O) और नाइट्रेट [Ni(NO3)2, 6H2O], दोनों गरम करने पर जल के [[अणु]] मुक्त कर देते हैं। सल्फेट तथा नाइट्रेट उच्च ताप पर विघटित होकर निकल ऑक्साइड बनाते हैं।
;कलिलीय गुण
निकल अनेक कार्बनिक अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाता है। उच्च अणुभार के अम्लों द्वारा बने निकल के लवणों में कलिलीय गुण होते हैं।
;संकीर्ण यौगिक
निकल अनेक संकीर्ण यौगिक बनाता है। इसके कार्बनिक अथवा अकार्बनिक दोनों प्रकार के संकीर्ण यौगिक ज्ञात हैं, जिनमें कुछ जैसे निकल डाइमिथाल ग्लाइऑक्ज़ाइम, (nikel dimethyl glyoxime) वैश्लेषिक तथा भारात्मक विश्लेषण में उपयुक्त होते हैं।
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निकल कार्बोंनिल [Ni(CO)4] एक विचित्र पदार्थ है, जो सामान्य ताप पर निकल पर कार्बन मोनॉक्साइड प्रवाहित करने से बन सकता है। यह रंगरहित द्रव है, जिसका क्वथनांक 43° सेंटीग्रेड है। 60° सेंटीग्रेड पर इसका विघटन प्रारंभ हो जाता है। वह विषैला पदार्थ है और इसके वाष्प से बचाव आवश्यक है।
==उपयोग==
*[[मिश्रधातु|मिश्रधातुओं]] के निर्माण में निकल का बहुत उपयोग होता है। इस्पात उद्योग में निकल का महत्वपूर्ण स्थान है।
*निकल-इस्पात कठोर होने के कारण मोटरकार, जलयान, वायुयान तथा रेल इंजन बनाने के उद्योगों में बहुत काम आता है।
*विभिन्न अविकारी इस्पातों में 2 से लेकर 25 प्रतिशत तक निकल उपस्थित रहता है।
*निकल मिश्रधातुओं का उपयोग सिक्कों में प्रतिरोधकों में और अन्य घरेलू वस्तुओं में होता है। जर्मनसिल्वर निकल और ताम्र द्वारा बनी मिश्रधातु है।
*चूर्ण अवस्था में निकल उत्प्रेरक का अनेक रासायनिक क्रियाओं में सफल उपयोग हुआ है।
*अनेक कार्बनिक [[पदार्थ|पदार्थों]] के हाइड्रोजनीकरण उद्योगों में<ref>(जैसे वनस्पति उद्योग में)</ref> यह उत्तम उत्प्रेरक सिद्ध हुआ है।
*निकल उत्प्रेरक बनाने की अनेक क्रियाएँ हैं, जिनमें निकल के यौगिकों जैसे निकल हाइड्रॉक्साइड, निकल नाइट्रेट आदि का विशेष विधियों द्वारा विघटन किया जाता है।
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>

12:25, 25 मई 2011 का अवतरण

निकल

फ़ौज़िया3
चाँदी पर सोने की आभा लिए धातु
साधारण गुणधर्म
नाम, प्रतीक, संख्या निकल, Ni, 28
तत्व श्रेणी संक्रमण धातु
समूह, आवर्त, कक्षा 10, 4, d
मानक परमाणु भार 58.6934(4)g·mol−1
इलेक्ट्रॉन विन्यास 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d8
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 8, 16, 2 or 2, 8, 17, 1
भौतिक गुणधर्म
अवस्था ठोस
घनत्व (निकट क.ता.) 8.908 g·cm−3
तरल घनत्व
(गलनांक पर)
7.81 g·cm−3
गलनांक 1728 K, 1455 °C, 2651 °F
क्वथनांक 3186 K, 2913 °C, 5275 °F
संलयन ऊष्मा 17.48 किलो जूल-मोल
वाष्पन ऊष्मा 377.5 किलो जूल-मोल
विशिष्ट ऊष्मीय
क्षमता
26.07

जूल-मोल−1किलो−1

वाष्प दाब
P (Pa) 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T (K) 1783 1950 2154 2410 2741 3184
परमाण्विक गुणधर्म
ऑक्सीकरण अवस्था 4, 3, 2, 1, -1
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी 1.91 (पाइलिंग पैमाना)
आयनीकरण ऊर्जाएँ
(अधिक)
1st: 737.1 कि.जूल•मोल−1
2nd: 1753.0 कि.जूल•मोल−1
3rd: 3395 कि.जूल•मोल−1
परमाण्विक त्रिज्या 124 pm
सहसंयोजक त्रिज्या 124±4 pm
वैन्डैर वाल्स त्रिज्या 163 pm
विविध गुणधर्म
क्रिस्टल संरचना केन्द्रीय मुख घनाकार
चुम्बकीय क्रम लोहचुम्बकीय
वैद्युत प्रतिरोधकता (20 °C) 69.3 nΩ·m
ऊष्मीय चालकता (300 K) 90.9 W·m−1·K−1
ऊष्मीय प्रसार (25 °C) 13.4 µm·m−1·K−1
ध्वनि चाल (पतली छड़ में) (r.t.) 4900 m·s−1
यंग मापांक 200 GPa
अपरूपण मापांक 76 GPa
स्थूल मापांक 180 GPa
पॉयज़न अनुपात 0.31
मोह्स कठोरता मापांक 4.0
विकर्स कठोरता 638 MPa
ब्राइनल कठोरता 700 MPa
सी.ए.एस पंजीकरण
संख्या
7440-02-0
समस्थानिक
समस्थानिक प्रा. प्रचुरता अर्द्ध आयु क्षरण अवस्था क्षरण ऊर्जा
(MeV)
क्षरण उत्पाद
58Ni 68.077% 58Ni 30 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
59Ni trace 76000 y ε - 59Co
60Ni 26.223% 60Ni 32 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
61Ni 1.14% 61Ni 33 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
62Ni 3.634% 62Ni 34 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
63Ni syn 100.1 y β 0.0669 63Cu
64Ni 0.926% 64Ni 36 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर

(अंग्रेज़ी भाषा- Nickel) आवर्त सारणी के अष्टसमूह का तत्व है। निकल के पाँच स्थायी समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 58, 60, 61, 62 और 64 हैं। निकल तत्व के पाँच अस्थायी समस्थानिक भी बनाए गए हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 57, 58, 62, 65 और 66 हैं।

प्राप्ति

मिश्रधातु के रूप में निकल का उपयोग पुरातन काल से होता आया है। नालंदा की धातु मूर्तियों में न्यून मात्रा में निकल उपस्थित है। [[चीन] में निकल की मिश्रधातुओं का उपयोग श्वेत ताम्र बनाने में होता था। सर्वप्रथम अशुद्ध निकल धातु का निर्माण क्रोन्सटेड ने 1750 ई. में किया था।

पृथ्वी की सतह पर निकल समुचित मात्रा में वर्तमान है और इसका परिमाण ताम्र, यशद या राँगे से अधिक है। परंतु इसके ऐसे सांद्र अयस्क बहुत कम है, जिनसे धातु निकाली जा सके। निकल का विश्व में सबसे समृद्ध अयस्क कैनाडा के सडबरी ज़िले में पाया गया है। यह लोहा और निकल की मिश्रित सल्फाइड है। न्यूकैलिडोनिया, सोवियत संघ तथा क्यूबा में भी समुचित मात्रा में निकल अयस्क से धातु निकाली जाती है। भारत, चीन, नॉर्वे, अमरीका का अलास्का प्रदेश, वेनेज़ुएला, ब्राज़ील, मिस्र और यूनान में अल्प मात्रा में निकल अयस्क प्राप्य हैं।

निर्माण

निकल का निर्माण जटिल क्रिया है। कैनाडा में सडरी अयस्क का सर्वप्रथम संप्लवन क्रिया द्वारा संद्र किया जाता है। इसका भर्जन करने के पश्चात्‌ भट्ठी में प्रगलन करने पर अशुद्ध धातु और गंधक का मिश्रण मिलता है। इस मिश्रण से बेसमर संपरिवर्तक द्वारा 70 प्रतिशत निकल की मिश्रधातु प्राप्त करते हैं। यह अशुद्ध धातु अनेक औद्योगिक एवं घरेलू उपयोगों में आती है। विशुद्ध निकल विद्युद्विश्लेषण अथवा मांड प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होता है। विद्युद्विश्लेषण क्रिया में अशुद्ध निकल धनाग्र के रूप में प्रयुक्त होता है, जो निकल सल्फेट के विलयन में डूबा रहता है। शुद्ध निकल ऋणाग्र पर जमा हो जाता है। इस क्रिया में बचे अपद्रव्यों से अनेक बहुमूल्य धातुएँ (जैसे चाँदी, स्वर्ण, प्लैटिनम धातुएँ) निकाली जाती हैं। मांड प्रक्रिया में निकल धातु पर कार्बन मोनॉक्साइड की प्रक्रिया से निकल कार्बोनिल [Ni(CO)4] बनाते हैं। इसके वाष्प को अलग प्रकोष्ठों में ले जाकर 180 रू सें. ताप पर रखने से उसका विघटन होकर विशुद्ध निकल प्राप्त होता है।

भौतिक गुण

  • निकल हलका पीला रंग लिए श्वेत रंग की धातु है।
  • निकल की परमाणु संख्या 28, परमाणु भार 58.71, गलनांक 1453° सेंटीग्रेड, क्वथनांक 2730° सेंटीग्रेड, घनत्त्व 8.9 ग्रा.घ. सेंमी. होता है।
  • निकल के गलन की गुप्त ऊष्मा 74 कैलरी, परमाणु व्यास 2.49 ऐंग्स्ट्रॉम[1], आयनीकरण विभव 7.63, विद्युत्प्रतिरोध 6.84 (२०° सेंटीग्रेड) माइक्रोओह्म सेंमी. होता है।
  • निकल के कुछ गुण लोहे के समान और कुछ ताम्र के समान हैं।
  • निकल अम्लों से मंद गति में अभिक्रिया करता है और द्विसंयोजी यौगिक बनाता है। क्षार द्वारा निकल अप्रभावित रहता है।

ऑक्साइड

  • निकल ऑक्साइड (NiO) निकल का स्थायी ऑक्साइड है। यह ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोंनेट या नाइट्रेट को गरम करके बनाया जा सकता है। यह अम्लों में विलेय है।
  • निकल लवणों पर क्षार की अभिक्रिया से निकल हाइड्रॉक्साइड, [Ni(OH)2] बनता है।
  • निकल ऑक्साइड हलके रंग के अवक्षेप के रूप में प्रकट होता है। ऐमोनिया की क्रिया से यह [Ni(NH3)4]+ + आयन बनाता है जो जल में घुल जाता है।

सल्फेट के यौगिक

निकल पर सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा निकल सल्फेट बनाया जाता है। इसके क्रिस्टल (NiSO4, 7H2O) हरे रंग के होते हैं। ये 300° सें. ताप पर अजल निकल सल्फेट (NiSO4) में परिवर्तित हो जाते हैं। निकल क्लोराइड (NiCl2, 6H2O) और नाइट्रेट [Ni(NO3)2, 6H2O], दोनों गरम करने पर जल के अणु मुक्त कर देते हैं। सल्फेट तथा नाइट्रेट उच्च ताप पर विघटित होकर निकल ऑक्साइड बनाते हैं।

कलिलीय गुण

निकल अनेक कार्बनिक अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाता है। उच्च अणुभार के अम्लों द्वारा बने निकल के लवणों में कलिलीय गुण होते हैं।

संकीर्ण यौगिक

निकल अनेक संकीर्ण यौगिक बनाता है। इसके कार्बनिक अथवा अकार्बनिक दोनों प्रकार के संकीर्ण यौगिक ज्ञात हैं, जिनमें कुछ जैसे निकल डाइमिथाल ग्लाइऑक्ज़ाइम, (nikel dimethyl glyoxime) वैश्लेषिक तथा भारात्मक विश्लेषण में उपयुक्त होते हैं।

विचित्र पदार्थ

निकल कार्बोंनिल [Ni(CO)4] एक विचित्र पदार्थ है, जो सामान्य ताप पर निकल पर कार्बन मोनॉक्साइड प्रवाहित करने से बन सकता है। यह रंगरहित द्रव है, जिसका क्वथनांक 43° सेंटीग्रेड है। 60° सेंटीग्रेड पर इसका विघटन प्रारंभ हो जाता है। वह विषैला पदार्थ है और इसके वाष्प से बचाव आवश्यक है।

उपयोग

  • मिश्रधातुओं के निर्माण में निकल का बहुत उपयोग होता है। इस्पात उद्योग में निकल का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • निकल-इस्पात कठोर होने के कारण मोटरकार, जलयान, वायुयान तथा रेल इंजन बनाने के उद्योगों में बहुत काम आता है।
  • विभिन्न अविकारी इस्पातों में 2 से लेकर 25 प्रतिशत तक निकल उपस्थित रहता है।
  • निकल मिश्रधातुओं का उपयोग सिक्कों में प्रतिरोधकों में और अन्य घरेलू वस्तुओं में होता है। जर्मनसिल्वर निकल और ताम्र द्वारा बनी मिश्रधातु है।
  • चूर्ण अवस्था में निकल उत्प्रेरक का अनेक रासायनिक क्रियाओं में सफल उपयोग हुआ है।
  • अनेक कार्बनिक पदार्थों के हाइड्रोजनीकरण उद्योगों में[2] यह उत्तम उत्प्रेरक सिद्ध हुआ है।
  • निकल उत्प्रेरक बनाने की अनेक क्रियाएँ हैं, जिनमें निकल के यौगिकों जैसे निकल हाइड्रॉक्साइड, निकल नाइट्रेट आदि का विशेष विधियों द्वारा विघटन किया जाता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (A)
  2. (जैसे वनस्पति उद्योग में)