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*कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 333-335);</ref>, हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1039-41);</ref> कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (373-375);</ref> इन सभी ने [[वराह पुराण]]<ref>वराह पुराण, (49|1-8)</ref> को उद्धृत किया है। | *कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 333-335);</ref>, हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1039-41);</ref> कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (373-375);</ref> इन सभी ने [[वराह पुराण]]<ref>वराह पुराण, (49|1-8)</ref> को उद्धृत किया है। | ||
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11:32, 19 जून 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आश्विन शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर यह व्रत आरम्भ होता है।
- एक घट स्थापित करके उसमें पद्मनाभ (विष्णु) की एक स्वर्ण प्रतिमा डाल देनी चाहिए।
- चन्दन लेप, पुष्पों आदि से उस प्रतिमा की पूजा की जाती है।
- दूसरे दिन किसी ब्राह्मण को दान दिया जाता है।
- कृत्यकल्पतरु[1], हेमाद्रि[2] कृत्यरत्नाकर[3] इन सभी ने वराह पुराण[4] को उद्धृत किया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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