"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ख": अवतरणों में अंतर

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अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।
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|14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं।
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अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।
अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।

16:25, 8 जुलाई 2011 का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे

अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना।

2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना।

3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर…

खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥

अर्थ - किसान को खेत में ख़ूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फ़सल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है।

4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै।

अर्थ - कृषक बनिये के कर्ज़ से कभी नहीं निकल पाता है।

5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।

अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फ़सल अच्छी होती है।।

6- खनिके काटै घनै मोरावै।

तव बरदा के दाम सुलावै।।

अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और ख़ूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।

7- खग जाने खग ही की भाषा।।

अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।

8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।।

अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।

9- ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है।

अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना।

10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार।

अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।

11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता।

अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।

12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय।

अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते।

13- ख़ाली बनिया क़यास करे,

इस कोठी का धान उस कोठी में धरे।

अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।

14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़़ नहीं।

अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।

15- ख़ुदा गंजे को नाख़ून न दे।

अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है।

16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।

अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।

17- खुशामद से ही आमद है।।

अर्थ - खुशामद से ही धन आता है।

18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे।

अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।

19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा।

अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को।

20- खेती,खसम लेती।

अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।

21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का।

अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का।

22- खेत रहना।

अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।

23- खेल खेलना।

अर्थ - परेशान करना।

24- खटाई में पड़ना।

अर्थ - टल जाना।

25- ख़्याली पुलाव पकाना।

अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना।

26- ख़ाक छानना।

अर्थ - मारा-मारा फिरना।

27- ख़ाक में मिलाना।

अर्थ - नष्ट करना।

28- खिचड़ी पकाना।

अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना।

29- खुले हाथ।

अर्थ - उदार होना।

30- खूँटे के बल कूदना।

अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।

31- ख़ून का घूँट पीना।

अर्थ - ग़ुस्सा पचा जाना।

32- ख़ून खुश्क होना।

अर्थ - भयभीत होना।

33- ख़ून खौलना / उबलना।

अर्थ - जोश में आना।

34- ख़ून-पसीना एक करना।

अर्थ - कड़ी मेहनत करना।