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||[[चित्र:Buddha1.jpg|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध|100px|right]]उदयन के समय में [[गौतमबुद्ध]] [[कौशाम्बी]] में अक्सर आते-जाते रहते थे। उनके सम्बन्ध के कारण कौशाम्बी के अनेक स्थान सैकड़ों वर्षों तक प्रसिद्ध रहे। [[बुद्धचरित]] 21,33 के अनुसार कौशाम्बी में, बुद्ध ने 'धनवान', 'घोषिल', 'कुब्जोत्तरा' तथा अन्य महिलाओं तथा पुरुषों को दीक्षित किया था। यहाँ के विख्यात श्रेष्ठी घोषित (सम्भवतः बुद्धचरित का घोषिल) ने 'घोषिताराम' नाम का एक सुन्दर उद्यान बुद्ध के निवास के लिए बनवाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौशाम्बी]] | ||[[चित्र:Buddha1.jpg|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध|100px|right]][[उदयन]] के समय में [[गौतमबुद्ध]] [[कौशाम्बी]] में अक्सर आते-जाते रहते थे। उनके सम्बन्ध के कारण कौशाम्बी के अनेक स्थान सैकड़ों वर्षों तक प्रसिद्ध रहे। [[बुद्धचरित]] 21,33 के अनुसार कौशाम्बी में, बुद्ध ने 'धनवान', 'घोषिल', 'कुब्जोत्तरा' तथा अन्य महिलाओं तथा पुरुषों को दीक्षित किया था। यहाँ के विख्यात श्रेष्ठी घोषित (सम्भवतः बुद्धचरित का घोषिल) ने 'घोषिताराम' नाम का एक सुन्दर उद्यान बुद्ध के निवास के लिए बनवाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौशाम्बी]] | ||
{'नवोदय विद्यालय' में दाख़िला किस कक्षा में होता है? | {'नवोदय विद्यालय' में दाख़िला किस कक्षा में होता है? | ||
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|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[पुणे]] | -[[पुणे]] | ||
- | -[[कोलकाता]] | ||
-[[जोधपुर]] | -[[जोधपुर]] | ||
+[[नई दिल्ली]] | +[[नई दिल्ली]] | ||
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-[[इस्लाम धर्म]] | -[[इस्लाम धर्म]] | ||
-[[हिन्दू धर्म]] | -[[हिन्दू धर्म]] | ||
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक|right]][[मथुरा]] के [[कुषाण]] शासक, जिनमें से अधिकांश ने [[बौद्ध धर्म]] को प्रोत्साहित किया, मूर्ति निर्माण के पक्षपाती थे। यद्यपि कुषाणों के पूर्व भी मथुरा में बौद्ध धर्म एवं अन्य धर्म से सम्बन्धित प्रतिमाओं का निर्माण किया गया था। विदित हुआ है कि, कुषाण काल में मथुरा उत्तर [[भारत]] में सबसे बड़ा मूर्ति निर्माण का केन्द्र था, और यहाँ विभिन्न धर्मों से सम्बन्धित मूर्तियों का अच्छा भण्डार था। | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक|right]][[मथुरा]] के [[कुषाण]] शासक, जिनमें से अधिकांश ने [[बौद्ध धर्म]] को प्रोत्साहित किया, मूर्ति निर्माण के पक्षपाती थे। यद्यपि कुषाणों के पूर्व भी मथुरा में बौद्ध धर्म एवं अन्य धर्म से सम्बन्धित प्रतिमाओं का निर्माण किया गया था। विदित हुआ है कि, कुषाण काल में मथुरा उत्तर [[भारत]] में सबसे बड़ा मूर्ति निर्माण का केन्द्र था, और यहाँ विभिन्न धर्मों से सम्बन्धित मूर्तियों का अच्छा भण्डार था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध धर्म]] | ||
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07:39, 13 जुलाई 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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