"एन. शिवराज": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "राजनैतिक" to "राजनीतिक") |
No edit summary |
||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
[[Category:राजनीति कोश]] | |||
[[Category:राजनीतिज्ञ]] | |||
[[Category:राजनेता]] | |||
[[Category:नया पन्ना]] | [[Category:नया पन्ना]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
09:57, 18 जुलाई 2011 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
एन. शिवराज (जन्म- 1892 ई.; मृत्य- 1964 ई.) दक्षिण भारत के दलित नेता थे।
जन्म
एन. शिवराज का जन्म 1892 ई. में मद्रास में एक हरिजन परिवार में हुआ था।
शिक्षा
एन. शिवराज ने मद्रास से क़ानून की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने वकालत आरंभ की और साथ ही मद्रास ला कॉलेज में सत्रह वर्षों तक क़ानून के शिक्षक भी रहे।
राजनीति
एन. शिवराज की शिक्षा के समय दलित वर्ग के प्रति भेदभाव और अत्याचार का जो वातावरण था उसके प्रतिकार के लिए शिवराज राजनीति में आए और ‘जस्टिस पार्टी’ में सम्मलित हो गए। 1926 में वे मद्रास कौंसिल के सदस्य नामजद हुए और 1940 में केंद्रीय असेम्बली के सदस्य बने। उन्होंने मद्रास के मेयर का सदस्य भी संभाला। शिवराज सवैधानिक तरीकों से दलितों की समस्या का समाधान करने के पक्ष में थे। उनके मतानुसार क़ानून बनाकर ही सामाजिक भेदभाव दूर किया जा सकता है। हरिजनों के मंदिर प्रवेश का समर्थन करने के साथ-साथ वे दलितों के लिए विधायी संस्थाओं में आरक्षण के प्रबल पक्षधर थे। वे इस बात का विरोध करते थे कि जनसंख्या की दृष्टि से केवल तीन प्रतिशत होने पर भी राजनीतिक सत्ता पर उच्च वर्ग का अधिकार है। उनके मतानुसार गैर-ब्राह्मण वर्ग जिस स्वराज्य को चाहता है उसमें किसी एक जाति के लिए सत्ता पर अधिकार करना असंभव हो जाएगा।
निधन
एन. शिवराज का निधन 1964 हुआ था।[1]
|
|
|
|
|