"प्रयोग:Asha": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
|-
|-
| style="width:30%"|
| style="width:30%"|
1-अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम,<br />
1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार।<br />
दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..।
जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार॥
| style="width:70%"|
| style="width:70%"|
अर्थ - अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है !
अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी।
|-
|-
|53- अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो।
|2- कहे कबीर जमाना छानियाँ,<br />
भक्त ना देखे सुनार बानियाँ।
|
|
अर्थ - अपने ज़रा से लाभ के लिए किसी दूसरे की बड़ी हानि करना।
अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते।
|-
|-
|54- अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता।
|3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती।
|
|
अर्थ - अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता।
अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
|-
|-
|55- अपनी टाँग उघारिए, आपहि मरिए लाज।
|4- कंगाली में आटा गीला।
|
|
अर्थ - अपने घर की बात दूसरों से कहने से व्यक्ति की खुद की ही बदनामी होती है।
अर्थ - नुकसान पर नुकसान होना।
|-
|-
|56- अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना।
|5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता।
|
|
अर्थ - पूर्ण रूप से स्वतंत्र होना।
अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता।
|-
|-
57- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े।
|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
|
|
अर्थ - दुष्ट लोग दूसरों का नुकसान करते ही हैं, भले ही उनका अपना भी कितना ही नुकसान हो जाए।
अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।
|-
|-
|58- अपनी पगड़ी अपने हाथ,
|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
|
|
अर्थ - अपनी इज्जत अपने हाथ होना।
अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।
|-
|-
|59- अपने किए का क्या इलाज।
|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
|
|
अर्थ - अपने कर्म का फल खुद भोगना ही पड़ता है।
अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।
|-
|-
|60- अपने झोपड़े की खैर मनाओ।
|9- एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
|
|
अर्थ - अपनी कुशल देखो या अपनी भलाई देखो।
अर्थ - कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|-
|-
|61- अपने पूत को कोई काना नहीं कहता।
|10- कंगाली में आटा गीला।
|
|
अर्थ - अपनी खराब चीज़ को भी कोई खराब नहीं कहता है।
अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
|-
|-
|62- अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना।
|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
|
|
अर्थ - अपनी बड़ाई खुद ही करना।
अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
|-
|-
|63- अब की अब के साथ, जब की जब के साथ।
|12- कचहरी का दरवाजा खुला है।
|
|
अर्थ - सदा वर्तमान में ही रहना चाहिए और आज की ही चिंता करनी चाहिए।
अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
|-
|-
|64- अब सतवंती होकर बैठी, लूट लिया सारा संसार।
|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
|
|
अर्थ - सारी उम्र तो व्यक्ति बुरे काम करता रहा और बाद में संत बनकर बैठ जाए।
अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
|-
|-
|65- अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे।
|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
|
|
अर्थ - अभी तो तुम्हारी उम्र कम है और अभी तुम बच्चे हो और नादान और अनजान हो।
अर्थ - उलटी बात करना।
|-
|-
|66- अभी दिल्ली दूर है।
|15- कब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
|
|
अर्थ - अभी कसर बाकी है,अभी काम पूरा नहीं हुआ।
अर्थ - मरणासन्न ।
|-
|-
|67- अमरी की जान प्यारी, गरीब को दम भारी।
|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
|
|
अर्थ - गरीब की जान के लाले पड़े हैं।
अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
|-
|-
|68- अरहर की टट्टी, गुजराती ताला।
|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
|
|
अर्थ - मामूली वस्तु की रक्षा के लिए इतना बड़ा इन्तज़ाम ।
अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
|-
|-
|69- अलख पुरूष की माया, कहीं धूप कहीं छाया।
|18- कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता।
|
|
अर्थ - ईश्वर की लीला देखिए- कोई सुखी है और कोई दु:खी है।
अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
|-
|-
|70- अशर्फियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर।
|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
|
|
अर्थ - मूल्यवान वस्तु भले ही दे दें पर छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखने की आदत।
अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
|-
|-
|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
|
अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
|-
|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
|
अर्थ - 
|-
|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
|
अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है।
|-
|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
|
अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
|-
|24- कर सेवा तो खा मेवा।
|
अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
|-
|25- करे कोई भरे कोई।
|
अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
|-
|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
|
अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
|-
|27- कल किसने देखा है।
|
अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
|-
|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
|
अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
|-
|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
|
अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
|-
|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
|
अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
|-
|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
|
अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
|-
|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
|
अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
|-
|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
|
अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
|-
|34-  कागज़ की नाव नहीं चलती।
|
अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
|-
|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,<br />
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
|
अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
|-
|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
|
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
|-
|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
|
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
|-
|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
|
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं।
|-
|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
|
अर्थ - निकम्मा  आदमी।
|-
|40- काबुल में क्या गधे नहीं होते।
|
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
|-
|41- काम को काम सिखाता है।
|
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
|-
|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,<br />
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
|
अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
|-
|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
|
अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
|-
|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
|
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
|-
|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
|
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
|-
|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
|
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।
|-
|47- किसी का घर जले कोई तापे।
|
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
|-
|48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।
|
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।
|-
|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
|
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
|-
|50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।
|
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?
|-
|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
|
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
|-
|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
|
अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
|-
|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
|
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
|-
|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
|
अर्थ - महापुरूष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
|-
|55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
|
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।
|-
|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
|
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
|-
|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
|
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
|-
|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
|
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।
|-
|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
|
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
|-
|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
|
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।
|-
|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
|
अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
|-
|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर।
|
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।
|-
|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
|
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
|-
|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
|-
|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
|
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
|-
|66- का वर्षा  जब कृषि सुखानी।
|
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।
|-
|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
|
अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना।
|-
|68- कट जाना।
|
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
|-
|69- कटे पर नमक छिड़कना।
|
अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
|-
|70- कढ़ी का सा उबाल।
|
अर्थ - मामूली से जोश में आना।
|_
|71- कदम उखड़ना।
|
अर्थ - भाग खड़े होना।
|-
|72- कन्नी काटना।
|
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
|-
|73- कमर कसना।
|
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।
|-
|74- कलम का धनी।
|
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।
|-
|75- कलम तोड़ना।
|
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।
|-
|76- कली खिलना।
|
अर्थ - बहुत खुश होना।
|-
|77- कलेजा ठंडा होना।
|
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।
|-
|78- कलेजा धक से रह जाना।
|
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।
|-
|79- कलेजा मुँह को आना।
|
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।
|-
|80- कलेजा का टुकड़ा।
|
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।
|-
|81- कलेजे पर साँप लोटना।
|
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।
|-
|82- कहा-सुनी होना।
|
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।
|-
|83- काँटा दूर होना।
|
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।
|-
|84- काँटे बिछाना।
|
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
|-
|85- काँटों पर लेटना।
|
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।
|-
|86- काँटों पर घसीटना।
|
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।
|-
|87- कागजी घोड़े दौड़ाना।
|
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।
|-
|88- काजल की कोठरी।
|
अर्थ - कलंक लगने का स्थान।
|-
|89- काठ का उल्लू।
|
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।
|-
|90- काठ मार जाना।
|
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।
|-
|91- कान कतरना।
|
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।
|-
|92- कान खड़े होना।
|
अर्थ -  चौकन्ना  होना।
|-
|93- कान खोलना।
|
अर्थ -  सावधान  कर देना।
|-
|94- कान गरम करना।
|
अर्थ - पिटाई करना।
|-
|95- कान देना।
|
अर्थ - ध्यान से सुनना।
|-
|96- कान पकड़ना।
|
अर्थ -  गलती मान लेना।
|-
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
|
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।
|-
|98- कान भरना।
|
अर्थ - चुगली करना।
|-
|99- कान में बात डाल देना।
|
अर्थ -  सुना देना, कह देना।
|-
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
|
अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।
|-
|101- कान में फूँकना।
|
अर्थ - चुपचाप से कह देना।
|-
|102- कान लगाना।
|
अर्थ - ध्यान देकर सुनना।
|-
|103- काफूर होना।
|
अर्थ - गायब हो जाना।
|-
|104- काम आना।
|
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।
|-
|105- काम तमाम करना।
|
अर्थ -  मार डालना। 
|-
|106- काया पलट जाना।
|
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
|-
|107- काल कवलित होना।
|
अर्थ -  मर जाना।
|-
|108- काल के गाल में जाना।
|
अर्थ - मर जाना।
|-
|109- काला नाग।
|
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।
|-
|110- काला मुँह करना।
|
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।
|-
|111- काले कोसों।
|
अर्थ -  बहुत दूर।
|-
|112- क़िताबी कीड़ा होना।
|
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
|-
|113- किरकिरी हो जाना।
|
अर्थ - विघ्न पड़ना।
|-
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
|
अर्थ - किसी भी काम का न होना।
|-
|115- किस्मत फूटना।
|
अर्थ - बुरे दिन आना।
|-
|116- कीचड़ उछालना।
|
अर्थ -  निंदा करना।
|-
|117- कुआँ खोदना।
|
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
|-
|118- कुएँ में गिरना।
|
अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।
|-
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
|
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।
|-
|120- कुछ उठा न रखना।
|
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।
|-
|121- कुत्ते की दुम।
|
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
|-
|122- कुत्ते की मौत मरना।
|
अर्थ -  बुरी तरह मरना। 
|-
|123- कूच कर जाना।
|
अर्थ -  चले जाना।
|-
|124- कूप मंडूक होना।
|
अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
|-
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
|
अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
|-
|126- कोढ़ में खाज होना।
|
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
|-
|127- कोर दबना।
|
अर्थ - दबाव में होना।
|-
|128- कोल्हू का बैल।
|
अर्थ -  दिन रात काम में लगे रहने वाला।
|-
|129- कौए उड़ाना।
|
अर्थ -  घटिया या छोटे काम करना।
|-
|130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
|
अर्थ - कंजूस होना।
|-
|131- कंधे से कंधा छिलना।
|
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
|-
|132- ककड़ी-खीरा समझना।
|
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
|-
|133- कच्चा चिट्ठा खोलना।
|
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
|-
|}
|}

20:21, 9 मई 2010 का अवतरण

मिजोरम
मिजोरम प्रदेश के ज़िले

आइजोल ज़िला . चम्फाई ज़िला . कोलासिब ज़िला . ममित ज़िला . लुंगलेई ज़िला . लॉन्ग्तलाई ज़िला . सइहा ज़िला . सेरछिप ज़िला


कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार।
जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार॥

अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी।

2- कहे कबीर जमाना छानियाँ,

भक्त ना देखे सुनार बानियाँ।

अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते।

3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती।

अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।

4- कंगाली में आटा गीला।

अर्थ - नुकसान पर नुकसान होना।

5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता।

अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता।

6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।

अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।

7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।

अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।

8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।

अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।

9- एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।

अर्थ - कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।

10- कंगाली में आटा गीला।

अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।

11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।

अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।

12- कचहरी का दरवाजा खुला है।

अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।

13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।

अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।

14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।

अर्थ - उलटी बात करना।

15- कब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।

अर्थ - मरणासन्न ।

16- कभी दिन बड़े कभी रात।

अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।

17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।

अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।

18- कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता।

अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।

19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।

अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।

20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।

21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।

अर्थ -

22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।

अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है।

23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।

अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।

24- कर सेवा तो खा मेवा।

अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।

25- करे कोई भरे कोई।

अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।

26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।

अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।

27- कल किसने देखा है।

अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।

28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।

अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।

29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।

अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।

30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।

अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।

31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।

अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।

32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।

अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।

33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।

अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।

34- कागज़ की नाव नहीं चलती।

अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।

35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,

एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।

अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।

36- काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से।

अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।

37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है।

अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।

38- कान में तेल डाले बैठे हैं।

अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं।

39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का।

अर्थ - निकम्मा आदमी।

40- काबुल में क्या गधे नहीं होते।

अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।

41- काम को काम सिखाता है।

अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।

42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,

काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।

अर्थ - मृत्यु सब को आती है।

43- काला अक्षर भैंस बराबर।

अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना।

44- काली के ब्याह को सौ जोखो।

अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।

45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।

अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।

46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।

अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।

47- किसी का घर जले कोई तापे।

अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।

48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।

अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।

49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।

अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।

50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।

अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?

51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।

अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।

52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।

अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।

53- कुत्ते को घी नहीं पचता।

अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।

54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।

अर्थ - महापुरूष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।

55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।

अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।

56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।

अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।

57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।

अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।

58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।

अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।

59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।

अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।

60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।

अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।

61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।

अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।

62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर।

अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।

63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।

अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।

64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।

अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।

65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।

अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।

66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।

अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।

67- कच्ची गोली नहीं खेलना।

अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना।

68- कट जाना।

अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।

69- कटे पर नमक छिड़कना।

अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।

70- कढ़ी का सा उबाल।

अर्थ - मामूली से जोश में आना।

_ 71- कदम उखड़ना।

अर्थ - भाग खड़े होना।

72- कन्नी काटना।

अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।

73- कमर कसना।

अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।

74- कलम का धनी।

अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।

75- कलम तोड़ना।

अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।

76- कली खिलना।

अर्थ - बहुत खुश होना।

77- कलेजा ठंडा होना।

अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।

78- कलेजा धक से रह जाना।

अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।

79- कलेजा मुँह को आना।

अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।

80- कलेजा का टुकड़ा।

अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।

81- कलेजे पर साँप लोटना।

अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।

82- कहा-सुनी होना।

अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।

83- काँटा दूर होना।

अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।

84- काँटे बिछाना।

अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।

85- काँटों पर लेटना।

अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।

86- काँटों पर घसीटना।

अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।

87- कागजी घोड़े दौड़ाना।

अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।

88- काजल की कोठरी।

अर्थ - कलंक लगने का स्थान।

89- काठ का उल्लू।

अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।

90- काठ मार जाना।

अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।

91- कान कतरना।

अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।

92- कान खड़े होना।

अर्थ - चौकन्ना होना।

93- कान खोलना।

अर्थ - सावधान कर देना।

94- कान गरम करना।

अर्थ - पिटाई करना।

95- कान देना।

अर्थ - ध्यान से सुनना।

96- कान पकड़ना।

अर्थ - गलती मान लेना।

97- कान पर जूँ तक न रेंगना।

अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।

98- कान भरना।

अर्थ - चुगली करना।

99- कान में बात डाल देना।

अर्थ - सुना देना, कह देना।

100- कान में तेल डालकर बैठना।

अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।

101- कान में फूँकना।

अर्थ - चुपचाप से कह देना।

102- कान लगाना।

अर्थ - ध्यान देकर सुनना।

103- काफूर होना।

अर्थ - गायब हो जाना।

104- काम आना।

अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।

105- काम तमाम करना।

अर्थ - मार डालना।

106- काया पलट जाना।

अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।

107- काल कवलित होना।

अर्थ - मर जाना।

108- काल के गाल में जाना।

अर्थ - मर जाना।

109- काला नाग।

अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।

110- काला मुँह करना।

अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।

111- काले कोसों।

अर्थ - बहुत दूर।

112- क़िताबी कीड़ा होना।

अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।

113- किरकिरी हो जाना।

अर्थ - विघ्न पड़ना।

114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।

अर्थ - किसी भी काम का न होना।

115- किस्मत फूटना।

अर्थ - बुरे दिन आना।

116- कीचड़ उछालना।

अर्थ - निंदा करना।

117- कुआँ खोदना।

अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।

118- कुएँ में गिरना।

अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना।

119- कुएँ में भाँग पड़ना।

अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।

120- कुछ उठा न रखना।

अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।

121- कुत्ते की दुम।

अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।

122- कुत्ते की मौत मरना।

अर्थ - बुरी तरह मरना।

123- कूच कर जाना।

अर्थ - चले जाना।

124- कूप मंडूक होना।

अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।

125- कोई दम भर का मेहमान होना।

अर्थ - मरने के क़रीब होना।

126- कोढ़ में खाज होना।

अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।

127- कोर दबना।

अर्थ - दबाव में होना।

128- कोल्हू का बैल।

अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।

129- कौए उड़ाना।

अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।

130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।

अर्थ - कंजूस होना।

131- कंधे से कंधा छिलना।

अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।

132- ककड़ी-खीरा समझना।

अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।

133- कच्चा चिट्ठा खोलना।

अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।

|}