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1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार।<br />
1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे
जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार॥
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अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी।
अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना।
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|2- कहे कबीर जमाना छानियाँ,<br />
|2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
भक्त ना देखे सुनार बानियाँ।
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अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते।
अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना।
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|3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती।
|3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर…<br />
खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥
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अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
अर्थ - किसान को खेत में खूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फसल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है।
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|4- कंगाली में आटा गीला।
|4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै।
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अर्थ - नुकसान पर नुकसान होना।
अर्थ - कृषक बनिये कर्ज से कभी नहीं निकल पाता है।
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|5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता।
|5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।
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अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता।
अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फसल अच्छी होती है।।
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|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
|6- खनिके काटै घनै मोरावै।<br />
तव बरदा के दाम सुलावै।।
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अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।
अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।
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|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
|7- खग जाने खग ही की भाषा।।
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अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।
अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।
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|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
|8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।।
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अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।
अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।
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|9- एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
|9- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।
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अर्थ - कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना।
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|10- कंगाली में आटा गीला।
|10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार।
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अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।
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|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
|11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता।
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अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
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|12- कचहरी का दरवाजा खुला है।
|12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय।
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अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते।
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|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
|13- खाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे।
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अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।
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|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
|14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं।
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अर्थ - उलटी बात करना।
अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।
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|15- कब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
|15- ख़ुदा गंजे को नाखून न दे।
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अर्थ - मरणासन्न ।
अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है।
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|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
|16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।
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अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।
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|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
|17- खुशामद से ही आमद है।।
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अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
अर्थ - खुशामद से ही धन आता है।
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|18- कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता।
|18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे।
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अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।
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|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
|19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा।
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अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को।
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|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
|20- खेती,खसम लेती।
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अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।
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|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
|21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का।
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अर्थ -   
अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का।  
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|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
|22- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
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अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है।
अर्थ - परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम।
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|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
|23- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
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अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
अर्थ - क्षमता से अधिक कार्य ना कर पाने पर क्रोध करना।
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|24- कर सेवा तो खा मेवा।
|24- खटाई में पड़ना।
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अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
अर्थ - टल जाना।
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|25- करे कोई भरे कोई।
|25- ख़्याली पुलाव पकाना।
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अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना।
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|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
|26- ख़ाक छानना।
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अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
अर्थ - मारा-मारा फिरना।
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|27- कल किसने देखा है।
|27- ख़ाक में मिलाना।
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अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
अर्थ - नष्ट  करना।
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|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
|28- खिचड़ी पकाना।
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अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना।
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|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
|29- खुले हाथ।
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अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
अर्थ - उदार होना।
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|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
|30- खूँटे के बल कूदना।
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अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।
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|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
|31- खून का घूँट पीना।
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अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
अर्थ - गुस्सा  पचा जाना।
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|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
|32- खून खुश्क  होना।
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अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
अर्थ - भयभीत होना।
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|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
|33- खून खौलना / उबलना।
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अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
अर्थ - जोश में आना।
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|34-  कागज़ की नाव नहीं चलती।
|34-  खून-पसीना एक करना।
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अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
अर्थ - कड़ी मेहनत करना।
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|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,<br />
|35- खेत रहना।
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
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अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।
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|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।

12:13, 10 मई 2010 का अवतरण

त्रिपुरा
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले

उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला


कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे

अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना।

2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना।

3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर…

खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥

अर्थ - किसान को खेत में खूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फसल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है।

4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै।

अर्थ - कृषक बनिये कर्ज से कभी नहीं निकल पाता है।

5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।

अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फसल अच्छी होती है।।

6- खनिके काटै घनै मोरावै।

तव बरदा के दाम सुलावै।।

अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।

7- खग जाने खग ही की भाषा।।

अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।

8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।।

अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।

9- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना।

10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार।

अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।

11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता।

अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।

12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय।

अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते।

13- खाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे।

अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।

14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं।

अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।

15- ख़ुदा गंजे को नाखून न दे।

अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है।

16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।

अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।

17- खुशामद से ही आमद है।।

अर्थ - खुशामद से ही धन आता है।

18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे।

अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।

19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा।

अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को।

20- खेती,खसम लेती।

अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।

21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का।

अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का।

22- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

अर्थ - परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम।

23- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

अर्थ - क्षमता से अधिक कार्य ना कर पाने पर क्रोध करना।

24- खटाई में पड़ना।

अर्थ - टल जाना।

25- ख़्याली पुलाव पकाना।

अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना।

26- ख़ाक छानना।

अर्थ - मारा-मारा फिरना।

27- ख़ाक में मिलाना।

अर्थ - नष्ट करना।

28- खिचड़ी पकाना।

अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना।

29- खुले हाथ।

अर्थ - उदार होना।

30- खूँटे के बल कूदना।

अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।

31- खून का घूँट पीना।

अर्थ - गुस्सा पचा जाना।

32- खून खुश्क होना।

अर्थ - भयभीत होना।

33- खून खौलना / उबलना।

अर्थ - जोश में आना।

34- खून-पसीना एक करना।

अर्थ - कड़ी मेहनत करना।

35- खेत रहना।

अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।

36- काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से।

अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।

37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है।

अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।

38- कान में तेल डाले बैठे हैं।

अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं।

39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का।

अर्थ - निकम्मा आदमी।

40- काबुल में क्या गधे नहीं होते।

अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।

41- काम को काम सिखाता है।

अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।

42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,

काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।

अर्थ - मृत्यु सब को आती है।

43- काला अक्षर भैंस बराबर।

अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना।

44- काली के ब्याह को सौ जोखो।

अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।

45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।

अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।

46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।

अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।

47- किसी का घर जले कोई तापे।

अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।

48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।

अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।

49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।

अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।

50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।

अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?

51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।

अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।

52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।

अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।

53- कुत्ते को घी नहीं पचता।

अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।

54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।

अर्थ - महापुरूष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।

55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।

अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।

56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।

अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।

57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।

अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।

58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।

अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।

59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।

अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।

60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।

अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।

61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।

अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।

62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर।

अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।

63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।

अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।

64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।

अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।

65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।

अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।

66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।

अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।

67- कच्ची गोली नहीं खेलना।

अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना।

68- कट जाना।

अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।

69- कटे पर नमक छिड़कना।

अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।

70- कढ़ी का सा उबाल।

अर्थ - मामूली से जोश में आना।

_ 71- कदम उखड़ना।

अर्थ - भाग खड़े होना।

72- कन्नी काटना।

अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।

73- कमर कसना।

अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।

74- कलम का धनी।

अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।

75- कलम तोड़ना।

अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।

76- कली खिलना।

अर्थ - बहुत खुश होना।

77- कलेजा ठंडा होना।

अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।

78- कलेजा धक से रह जाना।

अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।

79- कलेजा मुँह को आना।

अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।

80- कलेजा का टुकड़ा।

अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।

81- कलेजे पर साँप लोटना।

अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।

82- कहा-सुनी होना।

अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।

83- काँटा दूर होना।

अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।

84- काँटे बिछाना।

अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।

85- काँटों पर लेटना।

अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।

86- काँटों पर घसीटना।

अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।

87- कागजी घोड़े दौड़ाना।

अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।

88- काजल की कोठरी।

अर्थ - कलंक लगने का स्थान।

89- काठ का उल्लू।

अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।

90- काठ मार जाना।

अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।

91- कान कतरना।

अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।

92- कान खड़े होना।

अर्थ - चौकन्ना होना।

93- कान खोलना।

अर्थ - सावधान कर देना।

94- कान गरम करना।

अर्थ - पिटाई करना।

95- कान देना।

अर्थ - ध्यान से सुनना।

96- कान पकड़ना।

अर्थ - गलती मान लेना।

97- कान पर जूँ तक न रेंगना।

अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।

98- कान भरना।

अर्थ - चुगली करना।

99- कान में बात डाल देना।

अर्थ - सुना देना, कह देना।

100- कान में तेल डालकर बैठना।

अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।

101- कान में फूँकना।

अर्थ - चुपचाप से कह देना।

102- कान लगाना।

अर्थ - ध्यान देकर सुनना।

103- काफूर होना।

अर्थ - गायब हो जाना।

104- काम आना।

अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।

105- काम तमाम करना।

अर्थ - मार डालना।

106- काया पलट जाना।

अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।

107- काल कवलित होना।

अर्थ - मर जाना।

108- काल के गाल में जाना।

अर्थ - मर जाना।

109- काला नाग।

अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।

110- काला मुँह करना।

अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।

111- काले कोसों।

अर्थ - बहुत दूर।

112- क़िताबी कीड़ा होना।

अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।

113- किरकिरी हो जाना।

अर्थ - विघ्न पड़ना।

114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।

अर्थ - किसी भी काम का न होना।

115- किस्मत फूटना।

अर्थ - बुरे दिन आना।

116- कीचड़ उछालना।

अर्थ - निंदा करना।

117- कुआँ खोदना।

अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।

118- कुएँ में गिरना।

अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना।

119- कुएँ में भाँग पड़ना।

अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।

120- कुछ उठा न रखना।

अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।

121- कुत्ते की दुम।

अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।

122- कुत्ते की मौत मरना।

अर्थ - बुरी तरह मरना।

123- कूच कर जाना।

अर्थ - चले जाना।

124- कूप मंडूक होना।

अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।

125- कोई दम भर का मेहमान होना।

अर्थ - मरने के क़रीब होना।

126- कोढ़ में खाज होना।

अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।

127- कोर दबना।

अर्थ - दबाव में होना।

128- कोल्हू का बैल।

अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।

129- कौए उड़ाना।

अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।

130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।

अर्थ - कंजूस होना।

131- कंधे से कंधा छिलना।

अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।

132- ककड़ी-खीरा समझना।

अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।

133- कच्चा चिट्ठा खोलना।

अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।

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