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अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।  
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|31- खून का घूँट पीना।
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अर्थ - गुस्सा  पचा जाना।  
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|32- खून खुश्क  होना।
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अर्थ - भयभीत होना।  
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|33- खून खौलना / उबलना।
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अर्थ - जोश में आना।
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|34-  खून-पसीना एक करना।
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अर्थ - कड़ी मेहनत करना।
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अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।  
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|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
|36- खेल खेलना।
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अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
अर्थ - परेशान करना।  
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|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
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13:07, 10 मई 2010 का अवतरण

त्रिपुरा
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले

उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला


कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे

अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना।

2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना।

3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर…

खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥

अर्थ - किसान को खेत में खूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फसल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है।

4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै।

अर्थ - कृषक बनिये कर्ज से कभी नहीं निकल पाता है।

5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।

अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फसल अच्छी होती है।।

6- खनिके काटै घनै मोरावै।

तव बरदा के दाम सुलावै।।

अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।

7- खग जाने खग ही की भाषा।।

अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।

8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।।

अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।

9- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना।

10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार।

अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।

11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता।

अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।

12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय।

अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते।

13- खाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे।

अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।

14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं।

अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।

15- ख़ुदा गंजे को नाखून न दे।

अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है।

16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।

अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।

17- खुशामद से ही आमद है।।

अर्थ - खुशामद से ही धन आता है।

18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे।

अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।

19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा।

अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को।

20- खेती,खसम लेती।

अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।

21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का।

अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का।

22- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

अर्थ - परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम।

23- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

अर्थ - क्षमता से अधिक कार्य ना कर पाने पर क्रोध करना।

24- खटाई में पड़ना।

अर्थ - टल जाना।

25- ख़्याली पुलाव पकाना।

अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना।

26- ख़ाक छानना।

अर्थ - मारा-मारा फिरना।

27- ख़ाक में मिलाना।

अर्थ - नष्ट करना।

28- खिचड़ी पकाना।

अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना।

29- खुले हाथ।

अर्थ - उदार होना।

30- खूँटे के बल कूदना।

अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।

31- ख़ून का घूँट पीना।

अर्थ - गुस्सा पचा जाना।

32- ख़ून खुश्क होना।

अर्थ - भयभीत होना।

33- ख़ून खौलना / उबलना।

अर्थ - जोश में आना।

34- ख़ून-पसीना एक करना।

अर्थ - कड़ी मेहनत करना।

35- खेत रहना।

अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।

36- खेल खेलना।

अर्थ - परेशान करना।

|37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। | अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है। |- |38- कान में तेल डाले बैठे हैं। | अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं। |- |39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। | अर्थ - निकम्मा आदमी। |- |40- काबुल में क्या गधे नहीं होते। | अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। |- |41- काम को काम सिखाता है। | अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। |- |42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। | अर्थ - मृत्यु सब को आती है। |- |43- काला अक्षर भैंस बराबर। | अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। |- |44- काली के ब्याह को सौ जोखो। | अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। |- |45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। | अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। |- |46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। | अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है। |- |47- किसी का घर जले कोई तापे। | अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। |- |48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता। | अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता। |- |49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। | अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। |- |50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे। | अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ? |- |51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। | अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। |- |52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। | अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। |- |53- कुत्ते को घी नहीं पचता। | अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। |- |54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। | अर्थ - महापुरूष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। |- |55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है। | अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है। |- |56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। | अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। |- |57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। | अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। |- |58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। | अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है। |- |59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। | अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। |- |60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। | अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। |- |61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। | अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। |- |62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर। | अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। |- |63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। | अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। |- |64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। |- |65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। | अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। |- |66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। | अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। |- |67- कच्ची गोली नहीं खेलना। | अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना। |- |68- कट जाना। | अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। |- |69- कटे पर नमक छिड़कना। | अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। |- |70- कढ़ी का सा उबाल। | अर्थ - मामूली से जोश में आना। |_ |71- कदम उखड़ना। | अर्थ - भाग खड़े होना। |- |72- कन्नी काटना। | अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना। |- |73- कमर कसना। | अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। |- |74- कलम का धनी। | अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। |- |75- कलम तोड़ना। | अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। |- |76- कली खिलना। | अर्थ - बहुत खुश होना। |- |77- कलेजा ठंडा होना। | अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। |- |78- कलेजा धक से रह जाना। | अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। |- |79- कलेजा मुँह को आना। | अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। |- |80- कलेजा का टुकड़ा। | अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। |- |81- कलेजे पर साँप लोटना। | अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। |- |82- कहा-सुनी होना। | अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। |- |83- काँटा दूर होना। | अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। |- |84- काँटे बिछाना। | अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। |- |85- काँटों पर लेटना। | अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। |- |86- काँटों पर घसीटना। | अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। |- |87- कागजी घोड़े दौड़ाना। | अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। |- |88- काजल की कोठरी। | अर्थ - कलंक लगने का स्थान। |- |89- काठ का उल्लू। | अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। |- |90- काठ मार जाना। | अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। |- |91- कान कतरना। | अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। |- |92- कान खड़े होना। | अर्थ - चौकन्ना होना। |- |93- कान खोलना। | अर्थ - सावधान कर देना। |- |94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |}

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