"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ग": अवतरणों में अंतर

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गेहूं भवा काहें। कातिक के चौबाहें।।।
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अर्थ - अगर किसान आषाढ़ के महीने में दो बांह जोतने से; कुल सोलह बांह करने से और नौ बार हेंगाने से; कातिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से गेहूं की फसल अच्छी होती है।
अर्थ - अगर किसान आषाढ़ के महीने में दो बांह जोतने से; कुल सोलह बांह करने से और नौ बार हेंगाने से; कातिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से गेहूं की फ़सल अच्छी होती है।
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|5- गेहूं बाहें। धान बिदाहें।।
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धान गाहें, मक्का निराये, ऊख कसाये।
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अर्थ - ख़ूब बांह करने से गेहूं, दलने से चना, बार-बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और ईख में पानी में छोड़कर बोने से  उसकी फसल अच्छी होती है।
अर्थ - ख़ूब बांह करने से गेहूं, दलने से चना, बार-बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और ईख में पानी में छोड़कर बोने से  उसकी फ़सल अच्छी होती है।
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|9- गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए तो यमुनादास।
|9- गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए तो यमुनादास।

04:39, 11 मई 2010 का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- गोबर राखी पाती सड़ै,
फिर खेती में दाना पड़ै।

अर्थ - धैर्य और मेहनत के साथ ही सफलता मिलती है।

2- गोबर, मैला, नीम की खली,

या से खेती दुनी फली।।

अर्थ - अनुरूप कार्य करने से दुगना लाभ मिलता है।

3- गहिर न जोतै बोवै धान।

सो घर कोठिला भरै किसान।।

अर्थ - अगर किसान गहरी जुतायी न करके धान बोयें तो उसकी पैदावार ख़ूब होती है।

4- गेहूं भवा काहें। असाढ़ के दुइ बाहें।।

गेहूं भवा काहें। सोलह बाहें नौ गाहें।।
गेहूं भवा काहें। सोलह दायं बाहें।।
गेहूं भवा काहें। कातिक के चौबाहें।।।

अर्थ - अगर किसान आषाढ़ के महीने में दो बांह जोतने से; कुल सोलह बांह करने से और नौ बार हेंगाने से; कातिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से गेहूं की फ़सल अच्छी होती है।

5- गेहूं बाहें। धान बिदाहें।।

अर्थ - गेहूं की पैदावार अधिक बार जोतने से और धान की पैदावार विदाहने (धान होने के चार दिन बाद जुतवा देने) से अच्छी होती है।

6- गेहूं मटर सरसी। औ जौ कुरसी।।

अर्थ - गेहूं और मटर की बोआई सरस खेत में तथा जौ की बोआई कुरसौ में करने से पैदावार अच्छी होती है।

7- गेहूं बाहा, धान गाहा।

ऊख गोड़ाई से है आहा।।

अर्थ - जौ-गेहूं कई बांह करने से धान बिदाहने से और ऊख कई बार गोड़ने से इनकी पैदावार अच्छी होती है।

8- गेहूं बाहें, चना दलाये।

धान गाहें, मक्का निराये, ऊख कसाये।

अर्थ - ख़ूब बांह करने से गेहूं, दलने से चना, बार-बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और ईख में पानी में छोड़कर बोने से उसकी फ़सल अच्छी होती है।

9- गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए तो यमुनादास।

अर्थ - परिस्थिति अनुसार अपना सिद्धांत बदलने वाला।

10- गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके।

अर्थ - स्वार्थी आदमी स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।

11- गँवार गन्ना न दे, भेली दे।

अर्थ - मूर्ख सरलता से मामूली चीज़ नहीं देता, धमकाने से अधिक मूल्य की वस्तु भी दे देता है।

12- गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता।

अर्थ - किसी उपाय से भी स्वभाव नहीं बदलता।

13- गई माँगने पूत, खो आई भरतार।

अर्थ - थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान का हो जाना।

14- गर्व का सिर नीचा।

अर्थ - घमंडी आदमी का घमंड चूर हो जाता है।

15- गरीब की जोरू, सबकी भाभी।

अर्थ - अर्थ - गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।

16- गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान।

अर्थ - गरीब का सर्वत्र अपमान होता रहता है।

17- गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त।

अर्थ - जिसका काम है वह तो आलस करे और दूसरे फुर्ती दिखाएं।

18- गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए।

अर्थ - गरीब की क़िस्मत ही बुरी होती है।

19- गाँठ का पूरा, आँख का अंधा।

अर्थ - पैसे वाला तो है, पर मूर्ख है।

20- गाडर पाली ऊन को लागी, चरन कपास।

अर्थ - रखा तो गया है काम करने को, पर करता है नुकसान।

21- गिरहकट का भाई गठकट।

अर्थ - सब बदमाश एक से होते हैं।

22- गीदड़ की शामत आए तो गाँव की ओर भागे।

अर्थ - विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती।

23- गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज।

अर्थ - झूठ और ढोंग रचना।

24- गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दें।

अर्थ - प्रेम से काम निकल सके तो सख्ती क्यों करें।

25- गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें।

अर्थ - कुछ न दें पर मीठा बोल तो बोलें।

26- गुड़-गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया।

अर्थ - छोटे–बड़ों से आगे बढ़ जाते हैं।

27- गुरू जी, चेले बहुत हो गए।

भूखों मरेंगे तो आप ही चले जाएंगे।

अर्थ - लोग अधिक हो तो, उपेक्षा होती है।

28- गूदड़ में लाल नहीं छिपता।

अर्थ - बढ़िया चीज़ अपने आप पहचानी जाती है।

29- गोद में बैठकर आँख में उँगली।

अर्थ - भला करने पर दुष्टता करना।

30- गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा।

अर्थ - वस्तु पास में और खोज दूर तक।

31- गंगा नहाना।

अर्थ - कठिन कार्य पूरा होना।

32- गठरी मारना।

अर्थ - सामान चुरा लेना।

33- गड़े मुरदे उखाड़ना।

अर्थ - पुरानी बात फिर से उजागर करना।

34- गढ़ जीतना।

अर्थ - बहुत कठिन काम करना।

35- गले का हार होना।

अर्थ - बहुत प्यारा होना।

36- गले पड़ा ढोल बजाना।

अर्थ - सिर पर पड़ी जिम्मेदारी को मजबूरी में पूरा करना।

37- गले मढ़ना।

अर्थ - जबरदस्ती सौंपना।

38- गहरा हाथ।

अर्थ - बहुत कुछ हथिया लेना।

39- गाँठ का पूरा।

अर्थ - मालदार होना।

40- गाँठ में बाँधना।

अर्थ - याद रखना।

41- गागर में सागर भरना।

अर्थ - थोड़े में बहुत कुछ कहना।

42- गाजर मूली समझना।

अर्थ - तुच्छ समझना।

43- गाढ़े का साथी।

अर्थ - संकट का साथी।

44- गाल फुलाना।

अर्थ - रूठना जाना।

45- गाल बजाना।

अर्थ - डींग हाँकना।

46- गिन-गिन कर कदम रखना।

अर्थ - बहुत सावधानी से आगे बढ़ना।

47- गिरगिट की तरह रंग बदलना।

अर्थ - एक रंग-ढंग न रखना, रोज़ बातें बदलना।

48- गीदड़ भभकी।

अर्थ - दिखावटी धमकी देना।

49- गुड़ गोबर कर देना।

अर्थ - बना-बनाया काम बिगाड़ देना।

50- गुदड़ी का लाल होना।

अर्थ - गरीबी में भी गुणवान होना।

51- ग़ुल खिलाना।

अर्थ - कोई बखेड़ा खड़ा करना।

52- ग़ुस्सा़ पी जाना।

अर्थ - क्रोध रोकना।

53- गूँगे का गुड़ होना।

अर्थ - अनुभव को प्रकट न कर पाना।

54- गूलर का फूल।

अर्थ - दुर्लभ वस्तु होना।

55- गेहूँ के साथ घुन पिस जाना।

अर्थ - दोषी के साथ निर्दोष का भी अहित हो जाना।

56- गोटी बैठाना।

अर्थ - युक्ति सफल होना।

57- गोबर गणेश।

अर्थ - बिलकुल बुध्दू होना।

58- गोल कर जाना।

अर्थ - गायब कर देना।