"कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला": अवतरणों में अंतर
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<poem>आज ठंडक अधिक है। | <poem> | ||
आज ठंडक अधिक है। | |||
बाहर ओले पड़ चुके हैं, | बाहर ओले पड़ चुके हैं, | ||
एक हफ़्ता पहले पाला पड़ा था-- | एक हफ़्ता पहले पाला पड़ा था-- | ||
अरहर कुल की कुल मर चुकी थी, | अरहर कुल की कुल मर चुकी थी, | ||
हवा हाड़ तक | हवा हाड़ तक बेंध जाती है, | ||
गेहूँ के पेड़ | गेहूँ के पेड़ ऐंठे खड़े हैं, | ||
खेतीहरों में जान नहीं, | खेतीहरों में जान नहीं, | ||
मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैं | मन मारे दरवाज़े कौड़े ताप रहे हैं | ||
एक दूसरे से गिरे गले बातें करते हुए, | एक दूसरे से गिरे गले बातें करते हुए, | ||
कुहरा छाया हुआ। | कुहरा छाया हुआ। | ||
ऊपर से हवाबाज़ उड़ गया। | |||
ज़मीनदार का सिपाही लट्ठ कंधे पर डाले | ज़मीनदार का सिपाही लट्ठ कंधे पर डाले | ||
आया और लोगों की ओर देख कर कहा, | आया और लोगों की ओर देख कर कहा, | ||
'डेरे पर थानेदार आए हैं; | 'डेरे पर थानेदार आए हैं; | ||
डिप्टी साहब | डिप्टी साहब ने चंदा लगाया है, | ||
एक हफ़्ते के अंदर देना है। | एक हफ़्ते के अंदर देना है। | ||
चलो, बात दे आओ। | चलो, बात दे आओ। | ||
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चलते सिपाही को देख कर खडा हुआ, | चलते सिपाही को देख कर खडा हुआ, | ||
और भौंकने लगा, | और भौंकने लगा, | ||
करुणा से बंधु खेतिहर को देख-देख कर। </poem> | करुणा से बंधु खेतिहर को देख-देख कर। | ||
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11:38, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
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आज ठंडक अधिक है। |
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