"भेद कुल खुल जाए -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला": अवतरणों में अंतर
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भेद कुल खुल जाए वह सूरत हमारे दिल में | भेद कुल खुल जाए वह सूरत हमारे दिल में है। | ||
देश को मिल जाए जो पूँजी तुम्हारी मिल में | देश को मिल जाए जो पूँजी तुम्हारी मिल में है॥ | ||
हार होंगे हृदय के खुलकर तभी गाने | हार होंगे हृदय के खुलकर तभी गाने नये। | ||
हाथ में आ जायेगा, वह राज जो महफिल में | हाथ में आ जायेगा, वह राज जो महफिल में है॥ | ||
तरस है ये देर से आँखे गड़ी श्रृंगार | तरस है ये देर से आँखे गड़ी श्रृंगार में। | ||
और दिखलाई पड़ेगी जो गुराई तिल में | और दिखलाई पड़ेगी जो गुराई तिल में है॥ | ||
पेड़ टूटेंगे, हिलेंगे, जोर से आँधी | पेड़ टूटेंगे, हिलेंगे, जोर से आँधी चली। | ||
हाथ मत डालो, हटाओ पैर, बिच्छू बिल में | हाथ मत डालो, हटाओ पैर, बिच्छू बिल में है॥ | ||
ताक पर है नमक मिर्च लोग बिगड़े या | ताक पर है नमक मिर्च लोग बिगड़े या बनें। | ||
सीख क्या होगी पराई जब पसाई सिल में | सीख क्या होगी पराई जब पसाई सिल में है॥ | ||
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08:48, 25 अगस्त 2011 का अवतरण
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भेद कुल खुल जाए वह सूरत हमारे दिल में है। |
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