"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ख": अवतरणों में अंतर
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अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे –सीधे काम करता रहता है। | अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे –सीधे काम करता रहता है। | ||
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अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। | अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। |
13:09, 25 अगस्त 2011 का अवतरण
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना। | |
2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना। |
3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर… खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥ |
अर्थ - किसान को खेत में ख़ूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फ़सल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है। |
4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै। |
अर्थ - कृषक बनिये के कर्ज़ से कभी नहीं निकल पाता है। |
5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। |
अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फ़सल अच्छी होती है।। |
6- खनिके काटै घनै मोरावै। तव बरदा के दाम सुलावै।। |
अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और ख़ूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है। |
7- खग जाने खग ही की भाषा।। |
अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। |
8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।। |
अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। |
9- ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है। |
अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना। |
10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार। |
अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है। |
11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता। |
अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। |
12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय। |
अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते। |
13- ख़ाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे। |
अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे –सीधे काम करता रहता है। |
14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं। |
अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। |
15- ख़ुदा गंजे को नाख़ून न दे। |
अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है। |
16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। |
अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे। |
17- खुशामद से ही आमद है।। |
अर्थ - खुशामद से ही धन आता है। |
18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे। |
अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। |
19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा। |
अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को। |
20- खेती,खसम लेती। |
अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। |
21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। |
अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का। |
22- खेत रहना। |
अर्थ - रणभूमि में मारा जाना। |
23- खेल खेलना। |
अर्थ - परेशान करना। |
24- खटाई में पड़ना। |
अर्थ - टल जाना। |
25- ख़्याली पुलाव पकाना। |
अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना। |
26- ख़ाक छानना। |
अर्थ - मारा-मारा फिरना। |
27- ख़ाक में मिलाना। |
अर्थ - नष्ट करना। |
28- खिचड़ी पकाना। |
अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना। |
29- खुले हाथ। |
अर्थ - उदार होना। |
30- खूँटे के बल कूदना। |
अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना। |
31- ख़ून का घूँट पीना। |
अर्थ - ग़ुस्सा पचा जाना। |
32- ख़ून खुश्क होना। |
अर्थ - भयभीत होना। |
33- ख़ून खौलना / उबलना। |
अर्थ - जोश में आना। |
34- ख़ून-पसीना एक करना। |
अर्थ - कड़ी मेहनत करना। |