"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ध": अवतरणों में अंतर
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|#- धन का धन गया, मीत का मीत गया। | |||
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अर्थ - उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती। | अर्थ - उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती। | ||
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| | |#- धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हज़ार। | ||
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अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं। | अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं। | ||
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| | |#- धन्ना सेठ के नाती बने हैं। | ||
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अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं। | अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं। |
09:44, 26 अगस्त 2011 का अवतरण
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ | |
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#- धन का धन गया, मीत का मीत गया। |
अर्थ - उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती। | |
#- धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हज़ार। |
अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं। | |
#- धन्ना सेठ के नाती बने हैं। |
अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं। | |
4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए। |
अर्थ - धर्म के विरुद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती। | |
5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं। |
अर्थ - सांसारिक अनुभव बहुत है। | |
6- धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे। |
अर्थ - बलवान से हार खाकर निर्बल पर गुस्सा निकालना। | |
7- धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटा लुटे और। |
अर्थ - नुक़सान दूसरे का हो जाना। | |
8- धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को। |
अर्थ - सब अपने-अपने नुक़सान की चिंता करते हैं। | |
9- धज्जियाँ उड़ाना। |
अर्थ - दुर्गति करना। | |
10- धूप में बाल सफ़ेद करना। |
अर्थ - अनुभवहीन होना। |