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14:46, 11 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • इस अनुवाक में पुन: मित्र, वरुण, अर्यमा (सूर्य), इन्द्र, बृहस्पति, विष्णु, वायु आदि देवों की उपासना करते हुए उनसे कल्याण तथा शान्ति की कामना की गयी है; क्योंकि वे ही 'सत्य' हैं और 'ब्रह्म' हैं। वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं और हमारे तीन प्रकार के तापों को शान्त कर सकते हैं।
  • ये त्रय ताप हैं- अध्यात्मिक, अधिदैविक और अधिभौतिक। क्रमश: ईश्वर सम्बन्धी, देवता सम्बन्धी और शरीर सम्बन्धी दु:ख।


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