"गन्धयुक्ति कला": अवतरणों में अंतर

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[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। इस कला के अन्तर्गत सुगन्धित धूप बनाना आता है। सुगन्धित धूप का प्रयोग भगवान की पूजा करने में प्रयोग किया जाता है।
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09:50, 13 अक्टूबर 2011 का अवतरण

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एककलाहै। इसकलाके अन्तर्गत सुगन्धित धूप बनाना आता है। सुगन्धित धूप का प्रयोग भगवान की पूजा करने में प्रयोग किया जाता है।


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