"तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-12": अवतरणों में अंतर
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13:45, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
- तैत्तिरीयोपनिषद के शिक्षावल्ली का यह बारहवाँ अनुवाक है।
मुख्य लेख : तैत्तिरीयोपनिषद
- इस अनुवाक में पुन: मित्र, वरुण, अर्यमा (सूर्य), इन्द्र, बृहस्पति, विष्णु, वायु आदि देवों की उपासना करते हुए उनसे कल्याण तथा शान्ति की कामना की गयी है; क्योंकि वे ही 'सत्य' हैं और 'ब्रह्म' हैं। वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं और हमारे तीन प्रकार के तापों को शान्त कर सकते हैं।
- ये त्रय ताप हैं- अध्यात्मिक, अधिदैविक और अधिभौतिक। क्रमश: ईश्वर सम्बन्धी, देवता सम्बन्धी और शरीर सम्बन्धी दु:ख।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
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