"संत ज्ञानेश्वर": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
|चित्र=Sant-Gyaneshwar.gif | |चित्र=Sant-Gyaneshwar.gif | ||
|चित्र का नाम संत ज्ञानेश्वर | |चित्र का नाम= संत ज्ञानेश्वर | ||
|पूरा नाम=संत ज्ञानेश्वर | |पूरा नाम=संत ज्ञानेश्वर | ||
|अन्य नाम= | |अन्य नाम= | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|मृत्यु=1296 ई. | |मृत्यु=1296 ई. | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
|अविभावक=विट्ठल पंत | |अविभावक=विट्ठल पंत | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= |
09:06, 7 नवम्बर 2011 का अवतरण
संत ज्ञानेश्वर
| |
पूरा नाम | संत ज्ञानेश्वर |
जन्म | 1275 ई. |
जन्म भूमि | महाराष्ट्र |
मृत्यु | 1296 ई. |
गुरु | निवृत्तिनाथ |
कर्म भूमि | महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | दार्शनिक |
मुख्य रचनाएँ | ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव |
भाषा | मराठी |
अन्य जानकारी | ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। |
संत ज्ञानेश्वर (जन्म- 1275 ई. मृत्यु- 1296 ई.) की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है।
परिचय
संत ज्ञानेश्वर का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में पैठण के पास आपेगाँव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। संत ज्ञानेश्वर के पिता का नाम विट्ठल पंत एवं माता का नाम रुक्मिणी बाई था। संत ज्ञानेश्वर की बहन का नाम मुक्ताबाई था। संत ज्ञानेश्वर के दोंनों भाई निवृत्तिनाथ एवं सोपानदेव भी संत स्वभाव के थे। संत ज्ञानेश्वर के पिता ने जवानी में ही गृहस्थ का परित्याग कर संन्यास ग्रहण कर लिया था परंतु गुरु आदेश से उन्हें फिर से गृहस्थ-जीवन को शुरू करना पड़ा। इस घटना को समाज ने मान्यता नहीं दी और इन्हें समाज से बहिष्कृत होना पड़ा। ज्ञानेश्वर के माता-पिता से यह अपमान सहन नहीं हुआ और बालक ज्ञानेश्वर के सिर से उनके माता-पिता का साया सदा के लिए उठ गया।
रचनाएँ
संत ज्ञानेश्वर ने 'ज्ञानेश्वरी' की रचना की। महाराष्ट्र में इस सम्प्रदाय के पूर्वाचार्य संत ज्ञानेश्वर नाथसम्प्रदाय के अंतर्गत योगमार्ग के पुरस्कर्ता माने जाते हैं, उसी प्रकार भक्तिमार्ग में वे विष्णुस्वामी संप्रदाय के पुरस्कर्ता माने जाते हैं। फिर भी योगी ज्ञानेश्वर ने मराठों में 'अमृतानुभव' लिखा जो अद्वैतवादी शैव परम्परा में आता है। निदान, ज्ञानेश्वर सच्चे भागवत थे, क्योंकि भागवत धर्म की यही विशेषता है कि वह शिव और विष्णु में अभेद बुद्धि रखता है। ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। यह भी अद्वैत- वादी रचना है किंतु यह योग पर भी बल देती है। 28 अभंगों (छंदों) की इन्होंने 'हरिपाठ' नामक एक पुस्तिका लिखी है जिस पर भागवतमत का प्रभाव है। भक्ति का उदगार इससे अत्यधिक है। मराठी संतों में ये प्रमुख समझे जाते हैं। इनकी कविता दार्शनिक तथ्यों से पूर्ण है तथा शिक्षित जनता पर अपना गहरा प्रभाव डालती है।
मृत्यु
संत ज्ञानेश्वर की मृत्यु 1296 ई. में हुई। मात्र 21 वर्ष की उम्र में यह महान संत इस नश्वर संसार का परित्यागकर समाधिस्त हुए।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख