"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ध": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}} {| class="wikitable" |- !कहावत लोकोक्ति म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - "विरूद्ध " to "विरुद्ध ")
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
|4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए।
|4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए।
|
|
अर्थ - धर्म के विरूद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती।
अर्थ - धर्म के विरुद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती।
|-
|-
|5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं।  
|5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं।  

14:25, 20 मई 2010 का अवतरण

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- धन का धन गया, मीत का मीत गया।

अर्थ - उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती।

2- धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हजार।

अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।

3- धन्ना सेठ के नाती बने हैं।

अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं।

4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए।

अर्थ - धर्म के विरुद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती।

5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं।

अर्थ - सांसारिक अनुभव बहुत है।

6- धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे।

अर्थ - बलवान से हार खाकर निर्बल पर गुस्सा निकालना।

7- धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटा लुटे और।

अर्थ - नुकसान दूसरे का हो जाना।

8- धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को।

अर्थ - सब अपने-अपने नुकसान की चिंता करते हैं।

9- धज्जियाँ उड़ाना।

अर्थ - दुर्गति करना।

10- धूप में बाल सफेद करना।

अर्थ - अनुभवहीन होना।