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'''प्रतिभा देवी सिंह पाटिल''' (जन्म- 9 दिसम्बर, 1934) स्वतंत्र [[भारत]] के 60 साल के [[इतिहास]] में, मध्य वित्त परिवार से उठकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचने वाली प्रथम महिला [[राष्ट्रपति]] हैं। इन्हें देश का बारहवाँ निर्वाचित राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ हैं। इनका राष्ट्रपति बनना नारी शक्ति के सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ है। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 21 जुलाई, 2007 का दिन इस कारण काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता रहेगा, क्योंकि देश की आज़ादी के साठ वर्ष बाद एक महिला को प्रथम बार एक राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने का मौका मिला। 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की और देश की प्रथम महिला बनने का गौरव भी प्राप्त कर लिया। प्रतिभा पाटिल [[कांग्रेस]] पार्टी के साथ काफ़ी लम्बे समय से जुड़ी रही हैं, और राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते समय वह [[राजस्थान]] की [[राज्यपाल]] थीं।
'''प्रतिभा देवी सिंह पाटिल''' (जन्म- 19 दिसम्बर, 1934) स्वतंत्र [[भारत]] के 60 साल के [[इतिहास]] में, मध्य वित्त परिवार से उठकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचने वाली प्रथम महिला [[राष्ट्रपति]] हैं। इन्हें देश का बारहवाँ निर्वाचित राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ हैं। इनका राष्ट्रपति बनना नारी शक्ति के सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ है। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 21 जुलाई, 2007 का दिन इस कारण काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता रहेगा, क्योंकि देश की आज़ादी के साठ वर्ष बाद एक महिला को प्रथम बार एक राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने का मौका मिला। 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की और देश की प्रथम महिला बनने का गौरव भी प्राप्त कर लिया। प्रतिभा पाटिल [[कांग्रेस]] पार्टी के साथ काफ़ी लम्बे समय से जुड़ी रही हैं, और राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते समय वह [[राजस्थान]] की [[राज्यपाल]] थीं।
==जन्म एवं परिवार==
==जन्म एवं परिवार==
प्रतिभा पाटिल का जन्म 'जलगाँव' के 'नदगाँव' नामक ग्राम में 19 दिसम्बर, 1934 को हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम नारायण राव पाटिल था, जो पेशे से सरकारी वकील थे। उस समय देश पराधीनता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। ऐसे में यह कल्पना करना कि देश स्वाधीन होगा और स्वाधीन भारत की महामहिम राष्ट्रपति नदगाँव ग्राम की एक बेटी बनेगी, सर्वथा असम्भव ही था।
प्रतिभा पाटिल का जन्म 'जलगाँव' के 'नदगाँव' नामक ग्राम में 19 दिसम्बर, 1934 को हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम नारायण राव पाटिल था, जो पेशे से सरकारी वकील थे। उस समय देश पराधीनता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। ऐसे में यह कल्पना करना कि देश स्वाधीन होगा और स्वाधीन भारत की महामहिम राष्ट्रपति नदगाँव ग्राम की एक बेटी बनेगी, सर्वथा असम्भव ही था।

10:08, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण

प्रतिभा पाटिल
Pratibha Patil

कार्यकाल-25 जुलाई 2007 से
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (जन्म- 19 दिसम्बर, 1934) स्वतंत्र भारत के 60 साल के इतिहास में, मध्य वित्त परिवार से उठकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचने वाली प्रथम महिला राष्ट्रपति हैं। इन्हें देश का बारहवाँ निर्वाचित राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ हैं। इनका राष्ट्रपति बनना नारी शक्ति के सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ है। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 21 जुलाई, 2007 का दिन इस कारण काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता रहेगा, क्योंकि देश की आज़ादी के साठ वर्ष बाद एक महिला को प्रथम बार एक राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने का मौका मिला। 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की और देश की प्रथम महिला बनने का गौरव भी प्राप्त कर लिया। प्रतिभा पाटिल कांग्रेस पार्टी के साथ काफ़ी लम्बे समय से जुड़ी रही हैं, और राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते समय वह राजस्थान की राज्यपाल थीं।

जन्म एवं परिवार

प्रतिभा पाटिल का जन्म 'जलगाँव' के 'नदगाँव' नामक ग्राम में 19 दिसम्बर, 1934 को हुआ था। इनके पिता का नाम नारायण राव पाटिल था, जो पेशे से सरकारी वकील थे। उस समय देश पराधीनता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। ऐसे में यह कल्पना करना कि देश स्वाधीन होगा और स्वाधीन भारत की महामहिम राष्ट्रपति नदगाँव ग्राम की एक बेटी बनेगी, सर्वथा असम्भव ही था।

विद्यार्थी जीवन

चूँकि प्रतिभा पाटिल के पिता सरकारी वकील थे, इस कारण परिवार में बेटी की शिक्षा के लिए अनुकूल माहौल था। प्रतिभा पाटिल ने आरम्भिक शिक्षा नगरपालिका की प्राथमिक कन्या पाठशाला से आरम्भ की थी। कक्षा चार तक की पढ़ाई प्रतिभा पाटिल ने उसी पाठशाला में की। फिर इन्होंने जलगाँव के नये अंग्रेज़ी स्कूल में कक्षा पाँच में दाखिला ले लिया। वर्तमान में उस स्कूल को 'आर.आर. विद्यालय' के नाम से जाना जाता है। विद्यालय स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए भी प्रतिभा पाटिल ने अपने व्यक्तित्व का विकास अन्य गतिविधियों में लिप्त रहते हुए किया। भाषण, वाद-विवाद एवं खेलकूद की गतिविधियों में भी प्रतिभा पाटिल का वैशिष्ट्य भाव उभरकर सामने आया। वह मात्र शैक्षिक पुस्तकों में ही लिप्त नहीं रहती थीं, वरन् व्यक्तित्व के सभी पहलुओं की ओर उनका ध्यान था। प्रतिभा पाटिल को शास्त्रीय संगीत के प्रति भी गहरा लगाव था। टेबल टेनिस की भी वह निपुण खिलाड़ी थीं।

कुशल खिलाड़ी

जब प्रतिभा पाटिल ने जलगाँव के मूलजी जेठा (एम.जे. कॉलेज) विश्वविद्यालय में प्रवेश किया, तो उनका व्यक्तित्व किसी दब्बू नारी जैसा नहीं था। वह महाविद्यालय तक अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण पहुँची थीं। उन्होंने टेबल टेनिस में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। एक कुशल खिलाड़ी के रूप में उन्होंने कई पुरस्कार भी प्राप्त किए। एम.ए. करने के बाद प्रतिभा पाटिल ने अपने कैरियर का चुनाव करके क़ानून की पढ़ाई करने का निश्चय किया। राजकीय महाविद्यालय जलगाँव से प्रतिभा पाटिल ने स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। यह भी उल्लेखनीय है कि सादगी की प्रतिमूर्ति प्रतिभा पाटिल को महाविद्यालय की ब्यूटी क्वीन (सौन्दर्य साम्राज्ञी) बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। इसके बाद उन्होंने विधि महाविद्यालय, मुम्बई से क़ानून की उपाधि प्राप्त की।

पिता का प्रभाव

किसी भी व्यक्ति की मानसिकता पर उसके आस-पास के माहौल, देश-काल एवं परिस्थितियों का समग्र प्रभाव पड़ता है। अत: यह सम्भव ही नहीं था कि प्रतिभा पाटिल इन सबसे अछूती रहतीं। फिर परिवार का माहौल भी ऐसा था, जहाँ समस्याओं तथा प्रश्नों को लेकर कई व्यक्ति उनके पिता के पास आते रहते थे। तब वकील पिता उनका क़ानूनी समाधान प्रस्तुत करते थे। प्रतिभा अपने पिता नारायण राव को लोगों की समस्याओं एवं सवालों का समाधान करते हुए देखा करती थीं। इस कारण लोगों की समस्याएँ दूर करने की अभिवृत्ति भी उनके स्वभाव में विकसित हो रही थी।

  • 19 दिसंबर 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव ज़िले में जन्मी प्रतिभा पाटिल ने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से क़ानून की पढाई की।
  • वे टेबल टेनिस की अच्छी खिलाड़ी थीं। टेबल टेनिस में उन्होंने लगातार कई वर्ष तक चैंपियनशिप जीती।
  • महाराष्ट्र सरकार में वे राज्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री रहीं।
  • 1986 में वे राज्यसभा की उपसभापति, 1989-1990 में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख तथा 2004 में राजस्थान की राज्यपाल बनीं।
  • 25 जुलाई 2007 को वे भारत की राष्ट्रपति चुनी गईं।
  • न्यायप्रियता और महिला सशक्तीकरण से आज भी उनका बड़ा सरोकार है। सादा जीवन की प्रतीक प्रतिभा पाटिल के व्यक्तित्व में दृढ़ता भी भरपूर देखी जा सकती है। दृढ़ता को व्यवहार-कुशलता के साथ निभाना इनकी प्रमुख विशेषता है।






भारत के राष्ट्रपति
पूर्वाधिकारी
अब्दुल कलाम
प्रतिभा पाटिल उत्तराधिकारी


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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