"असम का इतिहास": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
__INDEX__
[[Category:असम]][[Category:असम_का_इतिहास]]
[[Category:असम]][[Category:असम_का_इतिहास]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
__NOTOC____INDEX__

10:40, 13 दिसम्बर 2011 का अवतरण

इस लेख में और पाठ सामग्री का जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

असम का इतिहास भारतीय आर्य, तिब्बत और बर्मा की संस्कृति के एक अच्छे मिश्रण की कहानी है। विद्वानों का मत है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है अनुपम या अद्वितीय। किन्तु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से 'अहोम' से बना है। ब्रिटिश शासन में जब इस राज्य का विलय किया गया उससे पहले लगभग छह सौ वर्ष तक इस राज्य पर 'अहोम' राजाओं का शासन रहा था। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन समय से इस प्रदेश की पहाडियों और घाटियों में अलग अलग समय पर आकर रहीं और बस गयीं जिसका यहाँ की मिश्रित संस्कृति में बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। इस राज्य के विकास में इन सभी जातियों ने अपना योगदान दिया। इस प्रकार असम राज्य में संस्कृति और सभ्यता की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है।

ऐतिहासिक उल्लेख

प्राचीन समय में यह राज्य 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम 'कामरूप' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण इलाहाबाद में समुद्रगुप्त के शिलालेख से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो गुप्त साम्राज्य के अधीन था और गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। कामरूप के ही शासक भूतिवर्मा ने 554 ई. में अश्वमेघ यज्ञ किया था। चीन के विद्वान यात्री ह्वेनसांग लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबरूनी की पुस्तक में भी 'कामरूप' का विवरण प्राप्त होता है। इस प्रकार प्राचीन काल से लेकर 12वीं शताब्दी ईस्वी तक समस्त आर्यावर्त में पूर्वी सीमांत देश को 'प्राग्ज्योतिष' और 'कामरूप' के नाम से जाना जाता था और यहाँ के नरेश स्वयं को 'प्राग्ज्योतिष नरेश' कहलाया करते थे।

अहोम लोगों का शासन

सन 1228 में पूर्वी पहाडियों पर 'अहोम' लोगों के आने से इतिहास में मोड़ आया। उन्होंने लगभग छह सौ वर्षों तक असम राज्य पर शासन किया। 1819 में बदनचन्द्र की हत्या के बाद सन् 1826 में यह राज्य ब्रिटिश सरकार के अधिकार में आ गया। इस समय 'बर्मी' लोगों ने 'यंडाबू संधि' को मानकर असम को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख