"अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार -काका हाथरसी": अवतरणों में अंतर
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बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर | बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर, | ||
जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर | जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर, | ||
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू | खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू, | ||
पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू | पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू, | ||
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना | गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना, | ||
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख | प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना॥ | ||
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05:43, 14 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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