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जब मैं आँगन में पहुँची,
जब मैं आँगन में पहुँची,
पूजा का थाल सजाए।
पूजा का थाल सजाए।
शिवजी की तरह दिखे वे,
शिव जी की तरह दिखे वे,
बैठे थे ध्यान लगाए॥
बैठे थे ध्यान लगाए॥


जिन चरणों के पूजन को
जिन चरणों के पूजन को,
यह हृदय विकल हो जाता।
यह हृदय विकल हो जाता।
मैं समझ न पाई, वह भी
मैं समझ न पाई, वह भी,
है किसका ध्यान लगाता?
है किसका ध्यान लगाता?



12:51, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

आराधना -सुभद्रा कुमारी चौहान
सुभद्रा कुमारी चौहान
सुभद्रा कुमारी चौहान
कवि सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 फरवरी, 1948
मुख्य रचनाएँ 'मुकुल', 'झाँसी की रानी', बिखरे मोती आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ

जब मैं आँगन में पहुँची,
पूजा का थाल सजाए।
शिव जी की तरह दिखे वे,
बैठे थे ध्यान लगाए॥

जिन चरणों के पूजन को,
यह हृदय विकल हो जाता।
मैं समझ न पाई, वह भी,
है किसका ध्यान लगाता?

मैं सन्मुख ही जा बैठी,
कुछ चिंतित सी घबराई।
यह किसके आराधक हैं,
मन में व्याकुलता छाई॥

मैं इन्हें पूजती निशि-दिन,
ये किसका ध्यान लगाते?
हे विधि! कैसी छलना है,
हैं कैसे दृश्य दिखाते??

टूटी समाधि इतने ही में,
नेत्र उन्होंने खोले।
लख मुझे सामने हँस कर
मीठे स्वर में वे बोले॥

फल गई साधना मेरी,
तुम आईं आज यहाँ पर।
उनकी मंजुल-छाया में
भ्रम रहता भला कहाँ पर॥

अपनी भूलों पर मन यह
जाने कितना पछताया।
संकोच सहित चरणों पर,
जो कुछ था वही चढ़ाया॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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