"आर्सेनिक": अवतरणों में अंतर

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आर्सेनिक रसायन की [[आवर्त सारणी]] के पंचम मुख्य समूह का एक तत्व है। इसकी स्थिति [[फॉस्फोरस]] के नीचे तथा ऐंटीमनी के ऊपर है। आर्सेनिक में [[अधातु]] के गुण अधिक और [[धातु]] के गुण कम विद्यमान हैं। इस धातु को [[उपधातु]] (मेटालॉयड) की श्रेणी में रखा जाता है। आर्सेनिक से नीचे ऐंटीमनी में धातुगुण अधिक हैं तथा उससे नीचे बिस्मथ पूर्णरूपेण धातु है। पंचम मुख्य समूह में नीचे उतरने पर धातुगुण में वृद्धि होती है।
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'''आर्सेनिक''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Arsenic) रसायन की [[आवर्त सारणी]] के पंचम मुख्य समूह का एक [[तत्व]] है। आर्सेनिक की स्थिति [[फॉस्फोरस]] के नीचे तथा ऐंटीमनी के ऊपर है। आर्सेनिक में [[अधातु]] के गुण अधिक और [[धातु]] के गुण कम विद्यमान हैं। इस धातु को [[उपधातु]] (मेटालॉयड) की श्रेणी में रखा जाता है। आर्सेनिक से नीचे ऐंटीमनी में धातुगुण अधिक हैं तथा उससे नीचे बिस्मथ पूर्णरूपेण धातु है। पंचम मुख्य समूह में नीचे उतरने पर धातुगुण में वृद्धि होती है।
   
   
आर्सेनिक सल्फाइड का पता बहुत पहले लग चुका था। कौटिल्य ने अपने 'अर्थशास्त्र' में इसका वर्णन किया है। उसमें इस अयस्क का नाम हरिताल है। प्राचीन काल में इसका उपयोग हस्तलिखित पुस्तकों में अशुद्ध लेख को मिटाने के लिए किया जाता था। यूनानियों ने आर्सेनिक सल्फाइड का अध्ययन ईसवी से चौथी शताब्दी पूर्व किया था। 13वीं शताब्दी में प्रसिद्ध कार्यकर्ता ऐलबर्टस मैगनस ने सल्फाइड अयस्क को साबुन के साथ गर्म करके एक धातु से मिलता जुलता [[पदार्थ]] बनाया। सन्‌ 1733 ई. में ब्रैंट ने यह सिद्ध किया कि आर्सेनिक एक तत्व है। सन्‌ 1817 ई. में स्वीडन देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बर्जीलियस ने इसका [[परमाणु भार]] निकाला।  
आर्सेनिक सल्फाइड का पता बहुत पहले लग चुका था। कौटिल्य ने अपने 'अर्थशास्त्र' में इसका वर्णन किया है। उसमें इस अयस्क का नाम हरिताल है। प्राचीन काल में इसका उपयोग हस्तलिखित पुस्तकों में अशुद्ध लेख को मिटाने के लिए किया जाता था। यूनानियों ने आर्सेनिक सल्फाइड का अध्ययन ईसवी से चौथी शताब्दी पूर्व किया था। 13वीं शताब्दी में प्रसिद्ध कार्यकर्ता ऐलबर्टस मैगनस ने सल्फाइड अयस्क को साबुन के साथ गर्म करके एक धातु से मिलता जुलता [[पदार्थ]] बनाया। सन्‌ 1733 ई. में ब्रैंट ने यह सिद्ध किया कि आर्सेनिक एक तत्व है। सन्‌ 1817 ई. में स्वीडन देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बर्जीलियस ने इसका [[परमाणु भार]] निकाला।  
==उपस्थिति==
==उपस्थिति==
यौगिक अवस्था में आर्सेनिक [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] पर अनेक स्थानों में पाया जाता है। ज्वालामुखी के वाष्पों में, समुद्र तथा अनेक खनिजीय जलों में यह मिश्रित रहता है। आर्सेनिक के मुख्य अयस्क [[ऑक्साइड]] तथा सल्फाइड हैं। कहीं-कहीं यह तत्व अन्य धातुओं के साथ [[यौगिक]] रूप में मिलता है, मुख्यत: सिल्वर, ऐंटीमनी, [[ताम्र]], लौह और [[कोबाल्ट]] के साथ आर्सेनिक यौगिक बनाता है।  
यौगिक अवस्था में आर्सेनिक [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] पर अनेक स्थानों में पाया जाता है। [[ज्वालामुखी]] के वाष्पों में, [[समुद्र]] तथा अनेक खनिजीय जलों में यह मिश्रित रहता है। आर्सेनिक के मुख्य अयस्क [[ऑक्साइड]] तथा सल्फाइड हैं। कहीं-कहीं यह तत्व अन्य धातुओं के साथ [[यौगिक]] रूप में मिलता है, मुख्यत: सिल्वर, ऐंटीमनी, [[ताम्र]], लौह और [[कोबाल्ट]] के साथ आर्सेनिक यौगिक बनाता है।  
   
   
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09:23, 16 दिसम्बर 2011 का अवतरण

आर्सेनिक
सिलेटी धातु
साधारण गुणधर्म
नाम, प्रतीक, संख्या आर्सेनिक, As, 33
तत्व श्रेणी उपधातु
समूह, आवर्त, कक्षा 15, 4, p
मानक परमाणु भार 74.92160g·mol−1
इलेक्ट्रॉन विन्यास 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d10 4p3
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 8, 18, 5
भौतिक गुणधर्म
अवस्था ठोस
घनत्व (निकट क.ता.) 5.727 g·cm−3
तरल घनत्व
(गलनांक पर)
5.22 g·cm−3
उर्ध्वपातन बिंदु 887 K, 615 °C, 1137 °F
त्रिगुण बिंदु 1090 K (817°C), 3628 kPa
संकट बिंदु 1673 K, ? MPa
संलयन ऊष्मा (सिलेटी) 24.44 किलो जूल-मोल
वाष्पन ऊष्मा ? 34.76 किलो जूल-मोल
विशिष्ट ऊष्मीय
क्षमता
24.64

जूल-मोल−1किलो−1

वाष्प दाब
P (Pa) 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T (K) 553 596 646 706 781 874
परमाण्विक गुणधर्म
ऑक्सीकरण अवस्था 5, 3, 2, 1, -3
(अम्लीय आक्साइड)
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी 2.18 (पाइलिंग पैमाना)
आयनीकरण ऊर्जाएँ
(अधिक)
1st: 947.0 कि.जूल•मोल−1
2nd: 1798 कि.जूल•मोल−1
3rd: 2735 कि.जूल•मोल−1
परमाण्विक त्रिज्या 119 pm
सहसंयोजक त्रिज्या 119±4 pm
वैन्डैर वाल्स त्रिज्या 185 pm
विविध गुणधर्म
क्रिस्टल संरचना त्रिकोणीय
चुम्बकीय क्रम प्रतिचुम्बकीय
वैद्युत प्रतिरोधकता (20 °C) 333 nΩ·m
ऊष्मीय चालकता (300 K) 50.2 W·m−1·K−1
यंग मापांक 8 GPa
स्थूल मापांक 22 GPa
मोह्स कठोरता मापांक 3.5
ब्राइनल कठोरता 1440 MPa
सी.ए.एस पंजीकरण
संख्या
7440-38-2
समस्थानिक
समस्थानिक प्रा. प्रचुरता अर्द्ध आयु क्षरण अवस्था क्षरण ऊर्जा
(MeV)
क्षरण उत्पाद
73As syn 80.3 d ε - 73Ge
γ 0.05D, 0.01D, e -
74As syn 17.78 d ε - 74Ge
β+ 0.941 74Ge
γ 0.595, 0.634 -
β 1.35, 0.717 74Se
75As 100% 75As 42 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर

आर्सेनिक (अंग्रेज़ी:Arsenic) रसायन की आवर्त सारणी के पंचम मुख्य समूह का एक तत्व है। आर्सेनिक की स्थिति फॉस्फोरस के नीचे तथा ऐंटीमनी के ऊपर है। आर्सेनिक में अधातु के गुण अधिक और धातु के गुण कम विद्यमान हैं। इस धातु को उपधातु (मेटालॉयड) की श्रेणी में रखा जाता है। आर्सेनिक से नीचे ऐंटीमनी में धातुगुण अधिक हैं तथा उससे नीचे बिस्मथ पूर्णरूपेण धातु है। पंचम मुख्य समूह में नीचे उतरने पर धातुगुण में वृद्धि होती है।

आर्सेनिक सल्फाइड का पता बहुत पहले लग चुका था। कौटिल्य ने अपने 'अर्थशास्त्र' में इसका वर्णन किया है। उसमें इस अयस्क का नाम हरिताल है। प्राचीन काल में इसका उपयोग हस्तलिखित पुस्तकों में अशुद्ध लेख को मिटाने के लिए किया जाता था। यूनानियों ने आर्सेनिक सल्फाइड का अध्ययन ईसवी से चौथी शताब्दी पूर्व किया था। 13वीं शताब्दी में प्रसिद्ध कार्यकर्ता ऐलबर्टस मैगनस ने सल्फाइड अयस्क को साबुन के साथ गर्म करके एक धातु से मिलता जुलता पदार्थ बनाया। सन्‌ 1733 ई. में ब्रैंट ने यह सिद्ध किया कि आर्सेनिक एक तत्व है। सन्‌ 1817 ई. में स्वीडन देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बर्जीलियस ने इसका परमाणु भार निकाला।

उपस्थिति

यौगिक अवस्था में आर्सेनिक पृथ्वी पर अनेक स्थानों में पाया जाता है। ज्वालामुखी के वाष्पों में, समुद्र तथा अनेक खनिजीय जलों में यह मिश्रित रहता है। आर्सेनिक के मुख्य अयस्क ऑक्साइड तथा सल्फाइड हैं। कहीं-कहीं यह तत्व अन्य धातुओं के साथ यौगिक रूप में मिलता है, मुख्यत: सिल्वर, ऐंटीमनी, ताम्र, लौह और कोबाल्ट के साथ आर्सेनिक यौगिक बनाता है।


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