"घूस माहात्म्य -काका हाथरसी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Kaka-Hathrasi.jpg ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>
<poem>
कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार,
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार,
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी,
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी,
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा,
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा।


  </poem>
  </poem>

09:34, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण

घूस माहात्म्य -काका हाथरसी
काका हाथरसी
काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार,
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार,
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी,
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी,
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा,
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा।

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख