"घूस माहात्म्य -काका हाथरसी": अवतरणों में अंतर
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कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार | कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार, | ||
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार | ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार, | ||
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी | बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी, | ||
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी | माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी, | ||
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा | कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा, | ||
जिसने किसी संस्था का, न पचाया | जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा। | ||
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09:34, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार, |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |