"बाज़ार के बीच मैं -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
मैं खुश हो सकूं | मैं खुश हो सकूं | ||
इस गर्ज से बहुत कुछ रखा गया है | इस गर्ज से बहुत कुछ रखा गया है | ||
बाज़ार में; | |||
बस मै ही नही जा पा रहा | बस मै ही नही जा पा रहा बाज़ार | ||
रूइ के भाव बिक रही है गरमाहट | रूइ के भाव बिक रही है गरमाहट | ||
जिसे मै | जिसे मै तलाश रहा था बरसों से | ||
अपने आसपास सम्बंधों में | अपने आसपास सम्बंधों में | ||
मै भूल चुका हूँ | मै भूल चुका हूँ | ||
पंक्ति 47: | पंक्ति 47: | ||
जैसे ताइ का बेटा खो गया था शहर में | जैसे ताइ का बेटा खो गया था शहर में | ||
बाज़ार के बीचोबीच | |||
सजाया गया है पार्क | सजाया गया है पार्क | ||
खिलाए गए है फूल | खिलाए गए है फूल | ||
पंक्ति 54: | पंक्ति 54: | ||
सकून के लिए | सकून के लिए | ||
जो हर बार कम पड जाता है | जो हर बार कम पड जाता है | ||
बाज़ार में | |||
इसलिए भी कि तब तक | इसलिए भी कि तब तक | ||
हाथगाडी ठेलते पहुँच गए होगे पल्लेदार | हाथगाडी ठेलते पहुँच गए होगे पल्लेदार | ||
पंक्ति 60: | पंक्ति 60: | ||
तब तक तरोताजा और व्यवस्थित हो चुका होगा समय़ | तब तक तरोताजा और व्यवस्थित हो चुका होगा समय़ | ||
बाज़ार सजाया गया है इस तरह | |||
कि स्तब्ध है सारी चीजे | कि स्तब्ध है सारी चीजे | ||
जैसे यही से होकर | जैसे यही से होकर | ||
आज | आज के आज गुजरेगी सारी खुषी | ||
आज के आज मनेगा महोत्सव | आज के आज मनेगा महोत्सव | ||
आज के आज बिकने केा है | आज के आज बिकने केा है | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 73: | ||
जिनके बिकने की योजना अगली सदी में थी़ | जिनके बिकने की योजना अगली सदी में थी़ | ||
विज्ञापनों व शोकेसों | विज्ञापनों व शोकेसों में छटपटाती चीजें | ||
मुडों और उद्विग्न करती हैं | |||
मुझमें और | मुझमें और बाज़ार में | ||
एक | एक रस्साकस्सी चलती है निरन्तर | ||
मैं गुज़रता हूँ बाज़ार से | मैं गुज़रता हूँ बाज़ार से | ||
कि | कि बाज़ार मुडों चीरता निकल जाता है | ||
हर बार पूछता हूँ एक ठेले वाले से | हर बार पूछता हूँ एक ठेले वाले से | ||
भइया, जरा | भइया, जरा बाज़ार से बाहर जाकर बताओ़ | ||
मैं हूँ बाज़ार में या मुझमें है बाज़ार ? | मैं हूँ बाज़ार में या मुझमें है बाज़ार ? | ||
09:28, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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