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छाती में ज्वालामुखी सा लावा उठाए
छाती में ज्वालामुखी सा लावा उठाए
खड़ा है एक लड़का़
खड़ा है एक लड़का़
छॉंव तलाषते लोगों से अलग
छॉंव तलाशते लोगों से अलग
लगभग उनके विरोध में
लगभग उनके विरोध में
धूप में है वह इस समय़
धूप में है वह इस समय़

13:32, 2 जनवरी 2012 का अवतरण

कोई नहीं जानता -कुलदीप शर्मा
कवि कुलदीप शर्मा
जन्म स्थान (ऊना, हिमाचल प्रदेश)
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कुलदीप शर्मा की रचनाएँ

 
कोई नही जानता
कि शहर की रंगीन हलचल
के बीचोंबीच
घोर घने यातायात के बावजूद
बाज़ार से थोड़ा हटकर
छाती में ज्वालामुखी सा लावा उठाए
खड़ा है एक लड़का़
छॉंव तलाशते लोगों से अलग
लगभग उनके विरोध में
धूप में है वह इस समय़
दो चार हाथ उसके सामने
ठण्डी लस्सी का प्रस्ताव लिए
प्रस्तुत हैं
एक लड़की दर्पण के समक्ष
सजा रही है मुस्कान
म्यूनिसिपल पार्क में
सरकारी माली ने रोप दिए हैं
ढेर सारे फूल पौधे,
दोस्त बनिए की चल निकली है दुकान
एम़एल़ए. के भी
ढीले पड़ गए हैं तेवऱ
संवाद की स्थितियॉं
कर सकती हैं कुछ भी
पर लड़का है कि चुप है
और चीखना चाहता है़


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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