"बाज़ार के बीच मैं -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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कि स्तब्ध है सारी चीजे | कि स्तब्ध है सारी चीजे | ||
जैसे यही से होकर | जैसे यही से होकर | ||
आज के आज गुजरेगी सारी | आज के आज गुजरेगी सारी खुशी | ||
आज के आज मनेगा महोत्सव | आज के आज मनेगा महोत्सव | ||
आज के आज बिकने | आज के आज बिकने के है | ||
उतावली सारी चीज़े | उतावली सारी चीज़े | ||
मेरी खुशी के लिए | मेरी खुशी के लिए | ||
पंक्ति 87: | पंक्ति 87: | ||
जो खुश नहीं हो पा रहे हैं अब भी | जो खुश नहीं हो पा रहे हैं अब भी | ||
जब कि बहुत खुश है बाज़ार | जब कि बहुत खुश है बाज़ार | ||
ऐसे कितने लोग हैं पूरे | ऐसे कितने लोग हैं पूरे देश में | ||
जो जेब ओर जरूरतों में | जो जेब ओर जरूरतों में | ||
सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं | सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं |
13:35, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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