"वह आदमी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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कोड़ी भर गोलियों के लिए | कोड़ी भर गोलियों के लिए | ||
एक गर्व मे तनी गर्दन चाहिए | एक गर्व मे तनी गर्दन चाहिए | ||
जो | जो शान से गिर सके होली के दिऩ | ||
जहाँ घर का हर सपना असुरक्षित है | जहाँ घर का हर सपना असुरक्षित है | ||
वह आदमी कितनी देर बैठेगा घर ? | वह आदमी कितनी देर बैठेगा घर ? | ||
सपनों के लिए लड़ते आदिमयों का | सपनों के लिए लड़ते आदिमयों का शोर | ||
उसे शालीन मर्यादा से | उसे शालीन मर्यादा से | ||
बाहर खींच लाएगा | बाहर खींच लाएगा |
13:36, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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