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*भोरमदेव मंदिर नाग राजवंश के राजा रामचन्द्र द्वारा बनाया गया था।
*भोरमदेव मंदिर नाग राजवंश के राजा रामचन्द्र द्वारा बनाया गया था।
*भोरमदेव मंदिर में [[खजुराहो|खजुराहो मंदिर]] की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है।
*भोरमदेव मंदिर में [[खजुराहो|खजुराहो मंदिर]] की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है।
*भोरमदेव मंदिर पर नृत्य की आकर्षक भाव भंगिमाँए के साथ-साथ [[हाथी]], घोड़े, भगवान [[गणेश]] एवं [[नटराज]] की मुर्तियों चंदेल शैली में उकेरी गयी हैं।
*भोरमदेव मंदिर पर नृत्य की आकर्षक भाव भंगिमाँए के साथ-साथ [[हाथी]], घोड़े, भगवान [[गणेश]] एवं [[नटराज]] की मूर्तियाँ चंदेल शैली में उकेरी गयी हैं।
*प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि में, इस मंदिर को भी अपनी [[वास्तुकला]] के लिए अद्वितीय है।
*प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि में, इस मंदिर को भी अपनी [[वास्तुकला]] के लिए अद्वितीय है।
*मंदिर के गर्भगृह के तीनों प्रवेशद्वार पर लगाया गया [[काला रंग|काला]] चमकदार पत्थर इसकी आभा में और वृद्धि करता है।
*मंदिर के गर्भगृह के तीनों प्रवेशद्वार पर लगाया गया [[काला रंग|काला]] चमकदार पत्थर इसकी आभा में और वृद्धि करता है।

06:24, 20 फ़रवरी 2012 का अवतरण

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भोरमदेव मंदिर
भोरमदेव मंदिर
भोरमदेव मंदिर
वर्णन भोरमदेव मंदिर एक बहुत ही पुराना हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है, यह छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा ज़िले में स्थित है।
स्थान कवर्धा, छत्तीसगढ़
निर्माता राजा रामचन्द्र
निर्माण काल 7 से 11 वीं शताब्दी
देवी-देवता शिव, गणेश
वास्तुकला चंदेल शैली
अन्य जानकारी भोरमदेव मंदिर में खजुराहो मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह के तीनों प्रवेशद्वार पर लगाया गया काला चमकदार पत्थर इसकी आभा में और वृद्धि करता है।
अद्यतन‎

भोरमदेव मंदिर एक बहुत ही पुराना हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है, यह छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा ज़िले में स्थित है।

  • भोरमदेव मंदिर कृत्रिमतापूर्वक पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, यह लगभग 7 से 11 वीं शताब्दी तक की अवधि में बनाया गया था।
  • भोरमदेव मंदिर नाग राजवंश के राजा रामचन्द्र द्वारा बनाया गया था।
  • भोरमदेव मंदिर में खजुराहो मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है।
  • भोरमदेव मंदिर पर नृत्य की आकर्षक भाव भंगिमाँए के साथ-साथ हाथी, घोड़े, भगवान गणेश एवं नटराज की मूर्तियाँ चंदेल शैली में उकेरी गयी हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि में, इस मंदिर को भी अपनी वास्तुकला के लिए अद्वितीय है।
  • मंदिर के गर्भगृह के तीनों प्रवेशद्वार पर लगाया गया काला चमकदार पत्थर इसकी आभा में और वृद्धि करता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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