"सद्र-उस-सदुर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (सद्र-उस-सुदूर का नाम बदलकर सद्र-उस-सदुर कर दिया गया है)
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''सद्र-उस-सदुर''' पद [[दीवान-ए-रसालत]] विभाग के अंतर्गत आता था।  
'''सद्र-उस-सदुर''' पद [[दीवान-ए-रसालत]] विभाग के अंतर्गत आता था।  


[[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] में यह धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। [[मुसलमान]] प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘ज़कात’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मक्‌तबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।
[[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] में यह धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। [[मुसलमान]] प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘[[ज़कात]]’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मक्‌तबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

06:07, 23 फ़रवरी 2012 का अवतरण

सद्र-उस-सदुर पद दीवान-ए-रसालत विभाग के अंतर्गत आता था।

भारत के इतिहास में सल्तनत काल में यह धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। मुसलमान प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘ज़कात’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मक्‌तबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख