"आतंक -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़ | बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़ | ||
बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक | बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक | ||
और उससे भी | और उससे भी ज़्यादा भरा बैठा है | ||
वह आदमी़ | वह आदमी़ | ||
बाढ़ या भूकम्प | बाढ़ या भूकम्प | ||
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कितनी हैं ? | कितनी हैं ? | ||
देखे कि जहाँ उन्हें | देखे कि जहाँ उन्हें | ||
रौंदे जाने का खतरा सबसे | रौंदे जाने का खतरा सबसे ज़्यादा है | ||
वहीं सबसे | वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल | ||
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | ||
जहॉं से फौजियों को गुज़रना है कल | जहॉं से फौजियों को गुज़रना है कल |
07:40, 5 मार्च 2012 का अवतरण
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