"ब्रज चौरासी कोस की यात्रा": अवतरणों में अंतर

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*[[वराह पुराण]] कहता है कि [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में [[ब्रज]] में आकर निवास करते हैं। यही वजह है कि ब्रज यात्रा करने वाले इन दिनों यहाँ खिंचे चले आते हैं।  हज़ारों श्रद्धालु ब्रज के वनों में डेरा डाले रहते हैं।  
*[[वराह पुराण]] कहता है कि [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में [[ब्रज]] में आकर निवास करते हैं। यही वजह है कि ब्रज यात्रा करने वाले इन दिनों यहाँ खिंचे चले आते हैं।  हज़ारों श्रद्धालु ब्रज के वनों में डेरा डाले रहते हैं।  
*ब्रजभूमि की यह पौराणिक यात्रा हज़ारों साल पुरानी है। चालीस दिन में पूरी होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्रा का उल्लेख [[वेद]]-[[पुराण]] व [[श्रुति ग्रंथ संहिता]] में भी है। [[कृष्ण]] की बाल क्रीड़ाओं से ही नहीं, [[सत युग]] में भक्त [[ध्रुव]] ने भी यहीं आकर [[नारद]] जी से गुरु मन्त्र ले अखंड तपस्या की व [[ब्रज]] परिक्रमा की थी।  
*ब्रजभूमि की यह पौराणिक यात्रा हज़ारों साल पुरानी है। चालीस दिन में पूरी होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्रा का उल्लेख [[वेद]]-[[पुराण]] व श्रुति ग्रंथ संहिता में भी है। [[कृष्ण]] की बाल क्रीड़ाओं से ही नहीं, [[सत युग]] में भक्त [[ध्रुव]] ने भी यहीं आकर [[नारद]] जी से गुरु मन्त्र ले अखंड तपस्या की व [[ब्रज]] परिक्रमा की थी।  
*[[त्रेता युग]] में प्रभु [[राम]] के लघु भ्राता [[शत्रुघ्न]] ने मधु पुत्र लवणासुर को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्त्व का माना जाता है।  
*[[त्रेता युग]] में प्रभु [[राम]] के लघु भ्राता [[शत्रुघ्न]] ने मधु पुत्र लवणासुर को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्त्व का माना जाता है।  
*[[द्वापर युग]] में [[उद्धव]] जी ने [[गोपी|गोपियों]] के साथ ब्रज परिक्रमा की।  
*[[द्वापर युग]] में [[उद्धव]] जी ने [[गोपी|गोपियों]] के साथ ब्रज परिक्रमा की।  
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*15वीं शताब्दी में [[माध्व सम्प्रदाय]] के आचार्य मघवेंद्र पुरी महाराज की यात्रा का वर्णन है तो  
*15वीं शताब्दी में [[माध्व सम्प्रदाय]] के आचार्य मघवेंद्र पुरी महाराज की यात्रा का वर्णन है तो  
*16वीं शताब्दी में महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]], गोस्वामी [[विट्ठलनाथ]], चैतन्य मत केसरी  [[चैतन्य महाप्रभु]], [[रूप गोस्वामी]], [[सनातन गोस्वामी]], नारायण भट्ट, [[निम्बार्क संप्रदाय]] के चतुरानागा  आदि ने ब्रज यात्रा की थी।
*16वीं शताब्दी में महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]], गोस्वामी [[विट्ठलनाथ]], चैतन्य मत केसरी  [[चैतन्य महाप्रभु]], [[रूप गोस्वामी]], [[सनातन गोस्वामी]], नारायण भट्ट, [[निम्बार्क संप्रदाय]] के चतुरानागा  आदि ने ब्रज यात्रा की थी।
[[चित्र:Radha Kund Govardhan Mathura 1.jpg|[[राधाकुण्ड गोवर्धन|राधा कुण्ड]], [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]<br /> Radha Kund, Govardhan, Mathura|thumb|400px]]
==परिक्रमा मार्ग==
==परिक्रमा मार्ग==
इस यात्रा में [[मथुरा]] की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त [[ध्रुव]] की तपोस्थली  
इस यात्रा में [[मथुरा]] की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त [[ध्रुव]] की तपोस्थली  
#[[मधुवन|मधुवन]] पहुँचती है। यहाँ से  
[[चित्र:Radha Kund Govardhan Mathura 1.jpg|[[राधाकुण्ड गोवर्धन|राधा कुण्ड]], [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]|thumb|400px]]
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#सतोहा
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#[[बहुलावन]]
#[[राधाकुण्ड गोवर्धन|राधा-कृष्ण कुण्ड]]
#[[गोवर्धन]]  
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#संच्दर सरोवर,
#संच्दर सरोवर
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#[[जतीपुरा गोवर्धन|जतीपुरा]]
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#[[डीग भरतपुर|डीग]] का लक्ष्मण मंदिर
#साक्षी गोपाल मंदिर
#साक्षी गोपाल मंदिर  
#जल महल,
#जल महल
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#[[काम्यवन]],
#[[काम्यवन]]
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#[[बरसाना]]  
#[[नंदगांव]],
#[[नंदगांव]]  
#[[जावट ग्राम नंदगांव|जावट]],
#[[जावट ग्राम नंदगांव|जावट]]
#[[कोकिलावन|कोकिलावन]],
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#[[कोसी|कोसी]],
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#[[शेरगढ]]
#[[चीर घाट वृन्दावन|चीर घाट]], [[चित्र:Jatipura Temple Entry Gate Govardhan Mathura.jpg|thumb|[[जतीपुरा गोवर्धन|जतीपुरा मंदिर]], प्रवेश द्वार, [[गोवर्धन]]]]
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#नौहझील,
#नौहझील
#[[भद्रवन|श्री भद्रवन]],
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#[[भांडीरवन]],
#[[भांडीरवन]]
#[[बेलवन]],
#[[बेलवन]]
#[[राया|राया वन]], यहाँ का
#[[राया|राया वन]]
#गोपाल कुण्ड, [[चित्र:barsana-temple-3.jpg|[[राधा रानी मंदिर बरसाना|राधा रानी मंदिर]], [[बरसाना]]<br />Radha Rani Temple, Barsana|thumb]]
#गोपाल कुण्ड
#कबीर कुण्ड,
#कबीर कुण्ड  
#भोयी कुण्ड,
#भोयी कुण्ड  
#ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर,
#ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर  
#[[बलदेव मन्दिर मथुरा|दाऊजी]],
#[[बलदेव मन्दिर मथुरा|दाऊजी]]
#[[महावन]],
#[[महावन]]
#[[ब्रह्माण्ड घाट महावन|ब्रह्मांड घाट]], [[चित्र:Nand-Ji-Temple-1.jpg|[[नन्द जी मंदिर नन्दगाँव|नन्द जी मंदिर]], [[नन्दगांव]]<br /> Nand Ji Temple, Nandganv|thumb]]
#[[ब्रह्माण्ड घाट महावन|ब्रह्मांड घाट]]
#[[चिंताहरण महादेव]],
#[[चिंताहरण महादेव]]
#[[गोकुल]],
#[[गोकुल]]
#[[लोहवन|लोहवन]],
#[[लोहवन]]
#[[वृन्दावन]] के मार्ग में तमाम पौराणिक स्थल हैं।
#[[वृन्दावन]] के मार्ग में तमाम पौराणिक स्थल हैं।


==दर्शनीय स्थल==
==दर्शनीय स्थल==
ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार यात्रा मार्ग में  
ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार यात्रा मार्ग में  
*12 वन,
*12 वन
[[चित्र:Baldev-Temple-1.jpg|दाऊजी मन्दिर, [[बलदेव]]<br /> Dauji Temple, Baldev|thumb]]
*24 उपवन
*24 उपवन,
*चार कुंज
*चार कुंज,
*चार निकुंज  
*चार निकुंज,
*चार वनखंडी  
*चार वनखंडी,
*चार ओखर
*चार ओखर,
*चार पोखर  
*चार पोखर,
*365 कुण्ड
[[चित्र:Mathura-Nath-Temple-1.jpg|मथुरा नाथ श्री द्वारिका नाथ, [[महावन]]<br /> Mathura Nath Shri Dwarika Nath, Mahavan|thumb|200px]]
*चार सरोवर  
*365 कुण्ड,
*दस कूप
*चार सरोवर,
*चार बावरी  
*दस कूप,
*चार तट
*चार बावरी,
*चार वट वृक्ष  
*चार तट,
*पांच पहाड़
*चार वट वृक्ष,
*चार झूला  
*पांच पहाड़,
*चार झूला,
*33 स्थल [[रासलीला]] के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग [[मथुरा]] में ही नहीं, [[अलीगढ़]], [[भरतपुर]], [[गुड़गांव]], [[फ़रीदाबाद]] की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फ़ीसदी हिस्सा मथुरा में है।   
*33 स्थल [[रासलीला]] के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग [[मथुरा]] में ही नहीं, [[अलीगढ़]], [[भरतपुर]], [[गुड़गांव]], [[फ़रीदाबाद]] की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फ़ीसदी हिस्सा मथुरा में है।   
==36 नियमों का नित्य पालन==
==36 नियमों का नित्य पालन==
ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं -  धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।  
ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं -  धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।  
==वीथिका==
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चित्र:Dan-Ghati-Temple-2.jpg|[[दानघाटी गोवर्धन|दानघाटी]], [[गोवर्धन]]
चित्र:Gokul-Chandrama-Temple-Kama-1.jpg|चन्द्रमा जी मन्दिर,[[काम्यवन]]
चित्र:Jal-Mahal-Deeg-3.jpg|जल महल, [[डीग भरतपुर|डीग]]
चित्र:Baldev-Temple-1.jpg|दाऊजी मन्दिर, [[बलदेव]]
चित्र:Jatipura Temple Entry Gate Govardhan Mathura.jpg|[[जतीपुरा गोवर्धन|जतीपुरा मंदिर]], प्रवेश द्वार, [[गोवर्धन]]
चित्र:barsana-temple-3.jpg|[[राधा रानी मंदिर बरसाना|राधा रानी मंदिर]], [[बरसाना]]
चित्र:Nand-Ji-Temple-1.jpg|[[नन्द जी मंदिर नन्दगाँव|नन्द जी मंदिर]], [[नन्दगांव]]
चित्र:Mathura-Nath-Temple-1.jpg|मथुरा नाथ श्री द्वारिका नाथ, [[महावन]]
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}

08:32, 6 मार्च 2012 का अवतरण

ध्रुव कुण्ड, मधुवन
  • वराह पुराण कहता है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। यही वजह है कि ब्रज यात्रा करने वाले इन दिनों यहाँ खिंचे चले आते हैं। हज़ारों श्रद्धालु ब्रज के वनों में डेरा डाले रहते हैं।
  • ब्रजभूमि की यह पौराणिक यात्रा हज़ारों साल पुरानी है। चालीस दिन में पूरी होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्रा का उल्लेख वेद-पुराण व श्रुति ग्रंथ संहिता में भी है। कृष्ण की बाल क्रीड़ाओं से ही नहीं, सत युग में भक्त ध्रुव ने भी यहीं आकर नारद जी से गुरु मन्त्र ले अखंड तपस्या की व ब्रज परिक्रमा की थी।
  • त्रेता युग में प्रभु राम के लघु भ्राता शत्रुघ्न ने मधु पुत्र लवणासुर को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्त्व का माना जाता है।
  • द्वापर युग में उद्धव जी ने गोपियों के साथ ब्रज परिक्रमा की।
  • कलि युग में जैन और बौद्ध धर्मों के स्तूप चैत्य, संघाराम आदि स्थल इस परियात्रा की पुष्टि करते हैं।
  • 14वीं शताब्दी में जैन धर्माचार्य जिन प्रभु शूरी की ब्रज यात्रा का उल्लेख आता है।
  • 15वीं शताब्दी में माध्व सम्प्रदाय के आचार्य मघवेंद्र पुरी महाराज की यात्रा का वर्णन है तो
  • 16वीं शताब्दी में महाप्रभु वल्लभाचार्य, गोस्वामी विट्ठलनाथ, चैतन्य मत केसरी चैतन्य महाप्रभु, रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, नारायण भट्ट, निम्बार्क संप्रदाय के चतुरानागा आदि ने ब्रज यात्रा की थी।

परिक्रमा मार्ग

इस यात्रा में मथुरा की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त ध्रुव की तपोस्थली

राधा कुण्ड, गोवर्धन, मथुरा
  1. मधुवन पहुँचती है। यहाँ से
  2. तालवन
  3. कुमुदवन
  4. शांतनु कुण्ड
  5. सतोहा
  6. बहुलावन
  7. राधा-कृष्ण कुण्ड
  8. गोवर्धन
  9. काम्यवन
  10. संच्दर सरोवर
  11. जतीपुरा
  12. डीग का लक्ष्मण मंदिर
  13. साक्षी गोपाल मंदिर
  14. जल महल
  15. कुमुदवन
  16. चरन पहाड़ी कुण्ड
  17. काम्यवन
  18. बरसाना
  19. नंदगांव
  20. जावट
  21. कोकिलावन
  22. कोसी
  23. शेरगढ
  24. चीर घाट
  25. नौहझील
  26. श्री भद्रवन
  27. भांडीरवन
  28. बेलवन
  29. राया वन
  30. गोपाल कुण्ड
  31. कबीर कुण्ड
  32. भोयी कुण्ड
  33. ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर
  34. दाऊजी
  35. महावन
  36. ब्रह्मांड घाट
  37. चिंताहरण महादेव
  38. गोकुल
  39. लोहवन
  40. वृन्दावन के मार्ग में तमाम पौराणिक स्थल हैं।

दर्शनीय स्थल

ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। पुराणों के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार यात्रा मार्ग में

  • 12 वन
  • 24 उपवन
  • चार कुंज
  • चार निकुंज
  • चार वनखंडी
  • चार ओखर
  • चार पोखर
  • 365 कुण्ड
  • चार सरोवर
  • दस कूप
  • चार बावरी
  • चार तट
  • चार वट वृक्ष
  • पांच पहाड़
  • चार झूला
  • 33 स्थल रासलीला के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग मथुरा में ही नहीं, अलीगढ़, भरतपुर, गुड़गांव, फ़रीदाबाद की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फ़ीसदी हिस्सा मथुरा में है।

36 नियमों का नित्य पालन

ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं - धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।

वीथिका

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