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*[[कर्नाटक]] के ज़िला अर्काट में स्थित जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है। | *[[कर्नाटक]] के ज़िला अर्काट में स्थित जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है। | ||
* | * सन् 1677 ई. में [[शिवाजी]] ने जिंजी के क़िले को [[बीजापुर]] से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया। | ||
*शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर [[मराठा|मराठों]] के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया। | *शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर [[मराठा|मराठों]] के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया। | ||
*सन 1690 ई. में विशाल [[मुग़ल]] सेना ने जिंजी के क़िले पर अधिकार करने के लिए घेरा डाला ताकि शिवाजी के उत्तराधिकारी रामराजा को पराजित किया जा सके। | *सन 1690 ई. में विशाल [[मुग़ल]] सेना ने जिंजी के क़िले पर अधिकार करने के लिए घेरा डाला ताकि शिवाजी के उत्तराधिकारी रामराजा को पराजित किया जा सके। |
14:07, 6 मार्च 2012 का अवतरण
- कर्नाटक के ज़िला अर्काट में स्थित जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है।
- सन् 1677 ई. में शिवाजी ने जिंजी के क़िले को बीजापुर से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया।
- शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर मराठों के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया।
- सन 1690 ई. में विशाल मुग़ल सेना ने जिंजी के क़िले पर अधिकार करने के लिए घेरा डाला ताकि शिवाजी के उत्तराधिकारी रामराजा को पराजित किया जा सके।
- जिंजी का दुर्ग अजेय समझा जाता था, अतः दुर्ग का घेरा 18 जनवरी, 1698 ई. तक पड़ा रहा। उस दिन मुग़लों ने दुर्ग पर भीषण आक्रमण किया।
- रामराजा को यहाँ से भागकर अन्यत्र जाना पड़ा।
- कालांतर में इस क़िले पर फ्रांसीसी लोगों ने अधिकार कर लिया, किंतु 1761 ई. में पांडिचेरी के पतन के बाद उन्हें यह किला अंग्रेज़ों को सौंपना पड़ा।
- जिंजी का दुर्ग तीन पहाड़ियों को मज़बूत दीवार से जोड़ कर तीन मील की परिधि में बनाया गया है।
- यहाँ इसकी एक पहाड़ी पर रंगनाथ का सुन्दर मन्दिर है, जिसमें कृष्ण की कलात्मक मूर्तियाँ हैं।
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