"हम्मीर देव": अवतरणों में अंतर
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*बाद में हम्मीर ने अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना के बगावत करने वाले सरदारों को शरण देकर उसकी खुली अवहेलना की। | *बाद में हम्मीर ने अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना के बगावत करने वाले सरदारों को शरण देकर उसकी खुली अवहेलना की। | ||
*उसने सुल्तान की | *उसने सुल्तान की फ़ौज के दो हमलों को विफल कर दिया था। | ||
*अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया। | *अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया। | ||
13:05, 9 अप्रैल 2012 का अवतरण
हम्मीर देव रणथम्भौर का चौहान राजा था, जिसने 1282 से 1301 ई. तक अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया। हम्मीर ने बड़ी आनबान और शान के साथ अपना शासन आरम्भ किया। उसने मालवा का एक भाग तथा गढ़मंडल जीत लिया था। हम्मीर देव ने अपने राज्य की सीमा मालवा में उज्जैन तक तथा राजपूताना में आबू पर्वत तक बढ़ा ली थी।
- हम्मीर इतना शक्तिशाली था कि सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने 1291 ई. में रणथम्भौर का क़िला सर करने का प्रयत्न त्याग दिया।
- बाद में हम्मीर ने अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना के बगावत करने वाले सरदारों को शरण देकर उसकी खुली अवहेलना की।
- उसने सुल्तान की फ़ौज के दो हमलों को विफल कर दिया था।
- अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 490 |