"राधा-सखिया वार्ता -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
{{Poemopen}}
'''आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''
<poem>
 
== राधा - सखिया वार्ता - शिवदीन राम जोशी ==
 
===शीर्षक उदाहरण 2===
 
====शीर्षक उदाहरण 3====
 
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
राधिका से मिलने जो गई,
राधिका से मिलने जो गई,
           सखियाँ हंसि के उर रूप निहारो |
           सखियाँ हंसि के उर रूप निहारो।
ब्रज बालाएं बात करी सो करी,
ब्रज बालाएं बात करी सो करी,
         सुनी राधिका और विचार विचारो |
         सुनी राधिका और विचार विचारो।
ब्रज राज बसे मथुरा सुनरी,
ब्रज राज बसे मथुरा सुनरी,
         तेरे पास नहीं वह प्रीतम प्यारो |
         तेरे पास नहीं वह प्रीतम प्यारो।
प्यारी कहुं कछु खारी न मानिये,
प्यारी कहुं कछु खारी न मानिये,
           यो दृग अंजन कौन पे सारो ?
           यो दृग अंजन कौन पे सारो ?
पिव पास नहीं मथुरा बसि हैं,
पिव पास नहीं मथुरा बसि हैं,
         वह रूप स्वरूप हृदय हम धारो |
         वह रूप स्वरूप हृदय हम धारो।
तन है बृज में मन है पिय में,
तन है बृज में मन है पिय में,
         श्रीकृष्ण बिना सखी कौन हमारो |
         श्रीकृष्ण बिना सखी कौन हमारो।
चैन कहाँ ? बैचेन रहूँ ,  
चैन कहाँ ? बैचेन रहूँ ,  
         इन नैनन को गुण नेक विचारो |
         इन नैनन को गुण नेक विचारो।
सुन भैन ये नैन कह्यो नहीं मानत,
सुन भैन ये नैन कह्यो नहीं मानत,
           याते कियो इनको मुख कारो |    
           याते कियो इनको मुख कारो।    
 
</poem>
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->  
{{Poemclose}}
 
 
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
{| width="100%"
 
|-
 
|
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{समकालीन कवि}}
[[Category:नया पन्ना मई-2012]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:समकालीन साहित्य]]
[[Category:शिवदीन राम जोशी]]
|}
__NOTOC__
__NOEDITSECTION__
__INDEX__
__INDEX__

07:47, 12 मई 2012 के समय का अवतरण

राधिका से मिलने जो गई,
          सखियाँ हंसि के उर रूप निहारो।
ब्रज बालाएं बात करी सो करी,
         सुनी राधिका और विचार विचारो।
ब्रज राज बसे मथुरा सुनरी,
         तेरे पास नहीं वह प्रीतम प्यारो।
प्यारी कहुं कछु खारी न मानिये,
           यो दृग अंजन कौन पे सारो ?
पिव पास नहीं मथुरा बसि हैं,
         वह रूप स्वरूप हृदय हम धारो।
तन है बृज में मन है पिय में,
        श्रीकृष्ण बिना सखी कौन हमारो।
चैन कहाँ ? बैचेन रहूँ ,
        इन नैनन को गुण नेक विचारो।
सुन भैन ये नैन कह्यो नहीं मानत,
          याते कियो इनको मुख कारो।

संबंधित लेख