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'''तुलजापुर''' | [[चित्र:Tuljapur-Fort-Maharashtra.jpg|thumb|250px|तुलजापुर क़िला, [[महाराष्ट्र]]]] | ||
'''तुलजापुर''' [[उसमानाबाद]], [[महाराष्ट्र]] में स्थित है। यह नालद्रुग से 20 मील उत्तर-पश्चिम में बसा हुआ एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थान है। यहाँ '[[तुलजा भवानी]]' का बहुत पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि [[श्रीराम|श्री रामचंद्र]] को स्वप्न में भवानी ने [[लंका]] का मार्ग बताया था। 'तुलजा भवानी' छत्रपति [[शिवाजी]] की कुलदेवी थीं। | |||
*[[दशहरा|दशहरे]] के बाद की [[पूर्णमासी]] को 'तुलजा भवानी' की यात्रा होती है। | *[[दशहरा|दशहरे]] के बाद की [[पूर्णमासी]] को 'तुलजा भवानी' की यात्रा होती है। | ||
*यह मंदिर यमुनाचल पहाड़ी पर स्थित है। | *यह मंदिर यमुनाचल पहाड़ी पर स्थित है। |
11:14, 7 जून 2012 का अवतरण
तुलजापुर उसमानाबाद, महाराष्ट्र में स्थित है। यह नालद्रुग से 20 मील उत्तर-पश्चिम में बसा हुआ एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थान है। यहाँ 'तुलजा भवानी' का बहुत पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि श्री रामचंद्र को स्वप्न में भवानी ने लंका का मार्ग बताया था। 'तुलजा भवानी' छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी थीं।
- दशहरे के बाद की पूर्णमासी को 'तुलजा भवानी' की यात्रा होती है।
- यह मंदिर यमुनाचल पहाड़ी पर स्थित है।
- मूलरूप में यह मंदिर आठ सौ वर्ष पुराना कहा जाता है।
- कोल्हापुर और सतारा नरेशों तथा अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर के बाहरी भागों को बनवाया था।
- 'तुलजा भवानी' महाराष्ट्र के वीर शिवाजी की कुलदेवी थी। महाराष्ट्र के लोग आज भी इसे अपनी कुलदेवी के तौर पर पूजते हैं।
- शिवाजी के चढ़ाए हुए अनेक आभूषण मंदिर में अभी तक सुरक्षित हैं।
- मंदिर के अंदर गोमुख से पानी निस्सृत होता हुआ कल्लोल तीर्थ में जाता है।
- भवानी मंदिर के पीछे भारतीय मठ है, जहाँ किंवदंती के अनुसार तुलजा देवों से चौपड़ खेलने जाती थीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 408 |