"हे दयालु ले शरण में -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
छोNo edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों | हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों बिसारंंयो। | ||
जुठे बेर सबरी के, पाय काज | जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारंंयो ।। हे दयालू ... | ||
द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज। | द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज। | ||
पांडवों की कर सहाय, अरजुन को | पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारंंयो ।। हे... | ||
रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का । | रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का । | ||
तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप | तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारंंयो ।। हे... | ||
नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ । | नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ । | ||
दुष्टन को गर्व गार, रावण को | दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारंंयो ।। हे दयालू .. | ||
शिवदीन हाथ जोडे, दुनियां से मुख: मोडे । | शिवदीन हाथ जोडे, दुनियां से मुख: मोडे । | ||
ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि | ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि ताr^^यो ।। हे... | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
11:08, 17 जून 2012 का अवतरण
हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों बिसारंंयो। |
संबंधित लेख |