"आदमी जो चौक़ उठता है नींद में -सुभाष रस्तोग़ी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रकाश बादल (वार्ता | योगदान) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र= |चित्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
प्रकाश बादल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 36: | पंक्ति 36: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
'''एक''' | |||
आदमी जो बार-बार | |||
चौक़ उठता है नींद में | |||
ज़रूर उसका खोया होगा कहीं / घर | |||
घर / ताश के पत्तों का भी | |||
घर होता है | |||
ढहें तो नीवें | |||
हिल जाती हैं सपनों की | |||
सोता-सोता जो आदमी | |||
चौंकता है नींद में | |||
भरभराकर | |||
गिर सकता है ज़मीन पर भी | |||
और लहुलुहान हो सकता है | |||
सँभालो / संभालो उसे ! | |||
'''दो''' | |||
आदमी जो बार-बार | |||
चौंक उठता है नींद में | |||
अर्से पहले | |||
उसने रहन रख दिए थे पंख | |||
अब वह पंखों के बिना ही | |||
आसमानों के पार जाना चाहता है | |||
आकाँक्षा तो उड़ सकती है | |||
पंखों के बिना | |||
पर आदमी | |||
बिना पंख कैसे उड़ सकता है । | |||
18:22, 24 जून 2012 का अवतरण
| ||||||||||||||||||||||
|
एक |
|
|
|
|
|