"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[हिमाचल प्रदेश]] | -[[हिमाचल प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Gulmarg-Jammu-And-Kashmir.jpg|right|120px|गुलमर्ग]]'जम्मू-कश्मीर' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। राज्य में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा मनाए जाने वाले चार प्रमुख त्योहार हैं- [[ईद-उल-फितर]], [[ईद उल ज़ुहा]], [[ईद-ए-मिलाद]] या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। [[मुहर्रम]] भी यहाँ बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। [[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैलियों में से एक [[रउफ नृत्य]] यहाँ का प्रसिद्ध [[नृत्य कला|नृत्य]] है। यह नृत्य मुख्यत: कश्मीरी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू-कश्मीर]] | ||[[चित्र:Gulmarg-Jammu-And-Kashmir.jpg|right|120px|गुलमर्ग]]'जम्मू-कश्मीर' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। राज्य में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा मनाए जाने वाले चार प्रमुख त्योहार हैं- [[ईद-उल-फितर]], [[ईद उल ज़ुहा]], [[ईद-ए-मिलाद]] या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। [[मुहर्रम]] भी यहाँ बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। [[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैलियों में से एक [[रउफ नृत्य]] यहाँ का प्रसिद्ध [[नृत्य कला|नृत्य]] है। यह नृत्य मुख्यत: कश्मीरी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू-कश्मीर]] | ||
{[[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 47) | {[[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 47) | ||
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-[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]] | -[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]] | ||
||[[हरियाणा की संस्कृति|हरियाणा के सांस्कृतिक]] जीवन में राज्य की [[कृषि]] आधारित अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें [[प्राचीन भारत]] की परंपराओं व लोक कथाओं का भंडार है। स्थानीय लोक गीत और [[लोक नृत्य]] अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। [[बसंत ऋतु]] में मौजमस्ती से भरे [[होली]] के त्योहार को लोग एक-दूसरे पर [[गुलाल]] उड़ाकर और गीला [[रंग]] डालकर मनाते हैं। भगवान [[कृष्ण]] के जन्मदिन '[[जन्माष्टमी]]' का [[हरियाणा]] में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि [[कुरुक्षेत्र]] ही वह रणभूमि थी, जहाँ कृष्ण ने योद्धा [[अर्जुन]] को [[श्रीमद्भगवद गीता]] का उपदेश दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हरियाणा]] | ||[[हरियाणा की संस्कृति|हरियाणा के सांस्कृतिक]] जीवन में राज्य की [[कृषि]] आधारित अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें [[प्राचीन भारत]] की परंपराओं व लोक कथाओं का भंडार है। स्थानीय लोक गीत और [[लोक नृत्य]] अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। [[बसंत ऋतु]] में मौजमस्ती से भरे [[होली]] के त्योहार को लोग एक-दूसरे पर [[गुलाल]] उड़ाकर और गीला [[रंग]] डालकर मनाते हैं। भगवान [[कृष्ण]] के जन्मदिन '[[जन्माष्टमी]]' का [[हरियाणा]] में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि [[कुरुक्षेत्र]] ही वह रणभूमि थी, जहाँ कृष्ण ने योद्धा [[अर्जुन]] को [[श्रीमद्भगवद गीता]] का उपदेश दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हरियाणा]] | ||
{[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] किसके लिए प्रसिद्ध है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 382, प्र. 55) | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] किसके लिए प्रसिद्ध है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 382, प्र. 55) | ||
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-समाधि | -समाधि | ||
+महापरिनिर्वान | +महापरिनिर्वान | ||
{गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 376, प्र. 17) | |||
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-अनूप जलौटा | |||
-[[भूपेन हज़ारिका]] | |||
-[[लता मंगेशकर]] | |||
+[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | |||
||[[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी' को [[कर्नाटक]] [[संगीत]] का पर्याय माना जाता है। वह [[भारत]] की ऐसी पहली गायिका थीं, जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। उनके गाये हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। [[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] ने जब [[संयुक्त राष्ट्र]] की असेम्बली में अपना गायन पेश किया था, तो प्रसिद्ध पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' ने लिखा था कि वे अपने संगीत के द्वारा पश्चिम के श्रोताओं से जो सम्पर्क स्थापित करती हैं, उसके लिए यह आवश्यक नहीं कि श्रोता उनके शब्दों का अर्थ समझें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | |||
{[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 70) | {[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 70) | ||
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{[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 381, प्र. 45) | |||
|type="()"} | |||
-[[हुमायूँ]] | |||
+[[जहाँगीर]] | |||
-[[अकबर]] | |||
-[[शाहजहाँ]] | |||
||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था- प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका 'तुजूके-जहाँगीरी' संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण [[अभिलेख]] था, "यदि मै अपनी प्रेयसी का चेहरा पुनः देख पाता, तो क़यामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता रहता।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | |||
{[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 86) | {[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 86) | ||
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-कथासरित्सागर | -कथासरित्सागर | ||
+जयसंहिता | +जयसंहिता | ||
{'भातखण्डे संगीत महाविद्यालय' कहाँ स्थित है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 377, प्र. 33) | |||
|type="()"} | |||
+[[लखनऊ]] | |||
-[[अहमदाबाद]] | |||
-[[चण्डीगढ़]] | |||
-[[इलाहाबाद]] | |||
||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]'लखनऊ' को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के [[शिया]] नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, [[संगीत]], और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' कहा जाता था। इस शहर को पूर्व का 'स्वर्ण नगर' और 'शिराज-ए-हिंद' के रूप में भी जाना जाता है। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध]] के नवाबों के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में है। [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[मुग़ल कालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]] | |||
{[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 386, प्र. 132) | {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 386, प्र. 132) | ||
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-मजार | -मजार | ||
-[[चर्च]] | -[[चर्च]] | ||
{'कीर्तन' कहाँ का प्रमुख [[लोक नृत्य]] है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 27) | |||
|type="()"} | |||
+[[पश्चिम बंगाल]] | |||
-[[असम]] | |||
-[[उड़ीसा]] | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] | |||
||[[चित्र:Shyam-Rai-Temple-Bishnupur.jpg|right|100px|श्याम राय मन्दिर, विष्णुपुर]][[रंगमंच]] [[पश्चिम बंगाल]] में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा नए कलाकारों के साथ-साथ पेशेवर कलाकारों द्वारा मंच-प्रस्तुति उच्च कोटि की होती है। यहाँ 'जात्रा' खुले रंगमंच पर होने वाला पारंपरिक कार्यक्रम है, जिसकी कथावस्तु अब स्पष्ट रूप से पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों से समकालीन विषय-वस्तु में परिवर्तित हो रही है और यह ग्रामीण और शहरी, दोनों शहरों में लोकप्रिय है। 'कथाकाता' एक धार्मिक जाप है और लोक गीतों पर आधारित ग्रामीण मनोरंजन का एक पारम्परिक स्वरूप है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पश्चिम बंगाल]] | |||
{[[उत्तर प्रदेश]] में [[बौद्ध]] एवं [[जैन]] दोनों की प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान|तीर्थ स्थली]] कौन-सी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 387, प्र. 165) | {[[उत्तर प्रदेश]] में [[बौद्ध]] एवं [[जैन]] दोनों की प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान|तीर्थ स्थली]] कौन-सी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 387, प्र. 165) |
12:24, 18 जुलाई 2012 का अवतरण
कला और संस्कृति
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