"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|100px|वर्धमान महावीर]]'महावीर' या 'वर्धमान महावीर' [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें जैन [[तीर्थंकर]] थे। इनका जीवन काल 599 ई. ईसा पूर्व से 527 ई. ईसा पूर्व तक माना जाता है। भगवान [[महावीर|महावीर स्वामी]] का जन्म कुंडलपुर, [[वैशाली]] के [[इक्ष्वाकु वंश]] में [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र]] में हुआ था। इनकी [[माता]] का नाम 'त्रिशला देवी' और [[पिता]] का नाम राजा सिद्धार्थ था। [[कलिंग]] नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का [[विवाह]] हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ | ||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|100px|वर्धमान महावीर]]'महावीर' या 'वर्धमान महावीर' [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें जैन [[तीर्थंकर]] थे। इनका जीवन काल 599 ई. ईसा पूर्व से 527 ई. ईसा पूर्व तक माना जाता है। भगवान [[महावीर|महावीर स्वामी]] का जन्म कुंडलपुर, [[वैशाली]] के [[इक्ष्वाकु वंश]] में [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र]] में हुआ था। इनकी [[माता]] का नाम 'त्रिशला देवी' और [[पिता]] का नाम राजा सिद्धार्थ था। [[कलिंग]] नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का [[विवाह]] हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महावीर]] | ||
{[[बौद्ध धर्म]] में '[[स्तूप]]' किसका प्रतीक है? | {[[बौद्ध धर्म]] में '[[स्तूप]]' किसका प्रतीक है? | ||
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||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में देवताओं का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं। ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को 'सूक्त' कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद के सूक्त विविध देवताओं की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | |||
{[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची? | {[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची? |
05:45, 23 जुलाई 2012 का अवतरण
कला और संस्कृति
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