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*प्राचीन समय में झूसी में [[चंद्र वंश|चंद्र वंशी]] राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। | *प्राचीन समय में झूसी में [[चंद्र वंश|चंद्र वंशी]] राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। | ||
*पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र वंश में [[पुरुरवा]] प्रथम राजा हुए, जो [[मनु]] की पुत्री [[इला]] के पुत्र थे।<ref>एक किंवदंती यह भी है कि [[इलाहाबाद]] का प्राचीन नाम 'इलाबास' था, जिसे बादशाह [[अकबर]] ने | *पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र वंश में [[पुरुरवा]] प्रथम राजा हुए, जो [[मनु]] की पुत्री [[इला]] के पुत्र थे।<ref>एक किंवदंती यह भी है कि [[इलाहाबाद]] का प्राचीन नाम 'इलाबास' था, जिसे बादशाह [[अकबर]] ने इलाहाबाद कर दिया था।</ref> इनके वंशज [[ययाति]] के पांच पुत्रों में से पुरु ने [[प्रतिष्ठानपुर]] और उसके सीमावर्ती प्रदेश पर सर्वप्रथम अपना शासन स्थापित किया था। | ||
*झूसी में [[प्रागैतिहासिक काल]] की कई गुफ़ाएँ भी हैं। प्राचीन काल के खंडहर दो ढूहों<ref>मिट्टी का ढेर या टीला</ref> के रूप में झूसी रेलवे स्टेशन से एक मील दक्षिण-पश्चिम की ओर अवस्थित हैं। एक ढूह के ऊपर 'समुद्रकूप' नामक एक प्रसिद्ध प्राचीन कूप है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=378|url=}}</ref> | *झूसी में [[प्रागैतिहासिक काल]] की कई गुफ़ाएँ भी हैं। प्राचीन काल के खंडहर दो ढूहों<ref>मिट्टी का ढेर या टीला</ref> के रूप में झूसी रेलवे स्टेशन से एक मील दक्षिण-पश्चिम की ओर अवस्थित हैं। एक ढूह के ऊपर 'समुद्रकूप' नामक एक प्रसिद्ध प्राचीन कूप है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=378|url=}}</ref> | ||
06:07, 13 सितम्बर 2012 का अवतरण
झूसी इलाहाबाद ज़िला, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के दूसरे तट पर अति प्राचीन स्थान है। इसका पूर्व नाम 'प्रतिष्ठान' या 'प्रतिष्ठानपुर' था। प्रतिष्ठान का तीर्थ स्थान के रूप में उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है-
'एवमेव महाभाग प्रतिष्ठिता' [1]
- प्राचीन समय में झूसी में चंद्र वंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी।
- पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र वंश में पुरुरवा प्रथम राजा हुए, जो मनु की पुत्री इला के पुत्र थे।[2] इनके वंशज ययाति के पांच पुत्रों में से पुरु ने प्रतिष्ठानपुर और उसके सीमावर्ती प्रदेश पर सर्वप्रथम अपना शासन स्थापित किया था।
- झूसी में प्रागैतिहासिक काल की कई गुफ़ाएँ भी हैं। प्राचीन काल के खंडहर दो ढूहों[3] के रूप में झूसी रेलवे स्टेशन से एक मील दक्षिण-पश्चिम की ओर अवस्थित हैं। एक ढूह के ऊपर 'समुद्रकूप' नामक एक प्रसिद्ध प्राचीन कूप है।[4]
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