"प्रियतम से -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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मत रूठो मेरे अभिमानी। | मत रूठो मेरे अभिमानी। | ||
लो प्रसन्न हो जाओ | लो प्रसन्न हो जाओ | ||
ग़लती मैंने अपनी सब मानी॥ | |||
मैं भूलों की भरी पिटारी | मैं भूलों की भरी पिटारी |
14:20, 1 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
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बहुत दिनों तक हुई परीक्षा |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |