"खंभात की खाड़ी": अवतरणों में अंतर

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'''खंभात की खाड़ी''' [[अरब सागर]] की भोंपू या तुरही की आकृति की खाड़ी, उत्तर की ओर कटती है। जो [[गुजरात]] राज्य का समुद्र तट, [[पश्चिम भारत|पश्चिमी भारत]], [[मुंबई]] और [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के बीच में स्थित है।  
'''खंभात की खाड़ी''' [[अरब सागर]] की भोंपू या [[तुरही]] की आकृति की खाड़ी, उत्तर की ओर कटती है। जो [[गुजरात]] राज्य का समुद्र तट, [[पश्चिम भारत|पश्चिमी भारत]], [[मुंबई]] और [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के बीच में स्थित है।  
*खंभात की खाड़ी [[दमन और दीव]] के समीप मुहाने पर 190 किलोमीटर चौड़ी है, लेकिन तेज़ी से 24 किमी तक संकरी हो जाती है। यह  खाड़ी [[साबरमती नदी|साबरमती]], [[माही नदी|माही]], [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और [[ताप्ती नदी|ताप्ती]] सहित कई नदियों को अपने में समाहित करती है।  
*खंभात की खाड़ी [[दमन और दीव]] के समीप मुहाने पर 190 किलोमीटर चौड़ी है, लेकिन तेज़ी से 24 किमी तक संकरी हो जाती है। यह  खाड़ी [[साबरमती नदी|साबरमती]], [[माही नदी|माही]], [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और [[ताप्ती नदी|ताप्ती]] सहित कई नदियों को अपने में समाहित करती है।  
*दक्षिण से पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी ऊँची लहरों (12 मीटर) और प्रवेश करने वाली लहरों की तीव्र गति (6-7 नॉट) का कारण है। इसके [[शैवाल]] और रेतीले किनारे नौ-परिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं और खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों की बाढ़ द्वारा लाए गए गाद से काफ़ी नुक़सान हुआ है।  
*दक्षिण से पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी ऊँची लहरों (12 मीटर) और प्रवेश करने वाली लहरों की तीव्र गति (6-7 नॉट) का कारण है। इसके [[शैवाल]] और रेतीले किनारे नौ-परिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं और खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों की बाढ़ द्वारा लाए गए गाद से काफ़ी नुक़सान हुआ है।  

14:30, 12 अक्टूबर 2012 का अवतरण

खंभात की खाड़ी अरब सागर की भोंपू या तुरही की आकृति की खाड़ी, उत्तर की ओर कटती है। जो गुजरात राज्य का समुद्र तट, पश्चिमी भारत, मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के बीच में स्थित है।

  • खंभात की खाड़ी दमन और दीव के समीप मुहाने पर 190 किलोमीटर चौड़ी है, लेकिन तेज़ी से 24 किमी तक संकरी हो जाती है। यह खाड़ी साबरमती, माही, नर्मदा और ताप्ती सहित कई नदियों को अपने में समाहित करती है।
  • दक्षिण से पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी ऊँची लहरों (12 मीटर) और प्रवेश करने वाली लहरों की तीव्र गति (6-7 नॉट) का कारण है। इसके शैवाल और रेतीले किनारे नौ-परिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं और खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों की बाढ़ द्वारा लाए गए गाद से काफ़ी नुक़सान हुआ है।
  • खाड़ी की पूर्व दिशा में भरुच (भारत का एक प्राचीनतम बंदरगाह) और सूरत हैं, जो भारत और यूरोप के बीच का आरंभिक वाणिज्यिक संपर्क स्थल के रूप में पहचाना गया है, इसके मुहाने पर स्थित है।
  • यद्यपि खाड़ी पर स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय मात्र ही है , लेकिन यहाँ पर तेल के मिलने और खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है।


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