"क्रथकैशिक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''क्रथकैशिक''' प्राचीन विदर्भ (महाराष्ट्र) का एक भा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
<blockquote>'विद्यावलाद् यो व्यजयत् सपांड्यक्रथकैशिकान् स भक्तो मागधं राजा भीष्मक: परवीरहा'</blockquote>
<blockquote>'विद्यावलाद् यो व्यजयत् सपांड्यक्रथकैशिकान् स भक्तो मागधं राजा भीष्मक: परवीरहा'</blockquote>
*उपर्युक्त उल्लेख में भीष्मक को [[जरासंध]] का मित्र बताया गया है। ये [[रुक्मिणी]] के [[पिता]] थे।
*उपर्युक्त उल्लेख में भीष्मक को [[जरासंध]] का मित्र बताया गया है। ये [[रुक्मिणी]] के [[पिता]] थे।
*महाकवि [[कालिदास]] ने '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 5, 39</ref> में इंदुमती के [[विवाह]] के प्रसंग में विदर्भराज भोज को क्रथकैशिक नरेश कहा है-
*महाकवि [[कालिदास]] ने '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 5, 39</ref> में [[इंदुमती]] के [[विवाह]] के प्रसंग में विदर्भराज भोज को क्रथकैशिक नरेश कहा है-
<blockquote>'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'</blockquote>
<blockquote>'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'</blockquote>



10:07, 25 अक्टूबर 2012 का अवतरण

क्रथकैशिक प्राचीन विदर्भ (महाराष्ट्र) का एक भाग था। महाभारत[1] में भी क्रथकैशिकों पर विदर्भराज भीष्मक की विजय का उल्लेख है।[2]

  • संभवत: भीष्मक ने पहली बार क्रथकैशिक देश को अपने राज्य में मिलाया था-

'विद्यावलाद् यो व्यजयत् सपांड्यक्रथकैशिकान् स भक्तो मागधं राजा भीष्मक: परवीरहा'

'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत 2, 14, 21-22
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 246 |
  3. रघुवंश 5, 39

संबंधित लेख