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*उपर्युक्त उल्लेख में भीष्मक को [[जरासंध]] का मित्र बताया गया है। ये [[रुक्मिणी]] के [[पिता]] थे। | *उपर्युक्त उल्लेख में भीष्मक को [[जरासंध]] का मित्र बताया गया है। ये [[रुक्मिणी]] के [[पिता]] थे। | ||
*महाकवि [[कालिदास]] ने '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 5, 39</ref> में इंदुमती के [[विवाह]] के प्रसंग में विदर्भराज भोज को क्रथकैशिक नरेश कहा है- | *महाकवि [[कालिदास]] ने '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 5, 39</ref> में [[इंदुमती]] के [[विवाह]] के प्रसंग में विदर्भराज भोज को क्रथकैशिक नरेश कहा है- | ||
<blockquote>'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'</blockquote> | <blockquote>'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'</blockquote> | ||
10:07, 25 अक्टूबर 2012 का अवतरण
क्रथकैशिक प्राचीन विदर्भ (महाराष्ट्र) का एक भाग था। महाभारत[1] में भी क्रथकैशिकों पर विदर्भराज भीष्मक की विजय का उल्लेख है।[2]
- संभवत: भीष्मक ने पहली बार क्रथकैशिक देश को अपने राज्य में मिलाया था-
'विद्यावलाद् यो व्यजयत् सपांड्यक्रथकैशिकान् स भक्तो मागधं राजा भीष्मक: परवीरहा'
- उपर्युक्त उल्लेख में भीष्मक को जरासंध का मित्र बताया गया है। ये रुक्मिणी के पिता थे।
- महाकवि कालिदास ने 'रघुवंश'[3] में इंदुमती के विवाह के प्रसंग में विदर्भराज भोज को क्रथकैशिक नरेश कहा है-
'अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थस्वसुरिन्दुमत्या: आप्त: कुमारानयनोत्सुकेन भोजेनदूतो रघवेविसृष्ट:।'
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