"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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{[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] किसके लिए प्रसिद्ध है? | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] किसके लिए प्रसिद्ध है? | ||
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-[[बौद्ध]] प्रतिमाएँ | -[[बौद्ध]] प्रतिमाएँ | ||
-[[सोन नदी]] का उद्गम स्थल | -[[सोन नदी]] का उद्गम स्थल | ||
||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ]]'भीमबेटका गुफ़ाएँ' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित हैं। ये गुफ़ाएँ [[भोपाल]] से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद हैं। गुफ़ाएँ चारों तरफ़ से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध 'नव | ||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ]]'भीमबेटका गुफ़ाएँ' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित हैं। ये गुफ़ाएँ [[भोपाल]] से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद हैं। गुफ़ाएँ चारों तरफ़ से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध 'नव पाषाणकाल' से है। भीमबेटका गुफ़ाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाण कालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती हैं। गुफ़ाएँ [[प्रागैतिहासिक काल]] की चित्रकारियों और मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गुफ़ाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी 12000 साल पुरानी मानी जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] | ||
{[[जैन]] | {[[जैन]] तीर्थंकरों के क्रम में अंतिम [[तीर्थंकर]] कौन थे? | ||
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-[[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] | -[[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] | ||
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-समाधि | -समाधि | ||
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||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|बुद्ध स्तूप, साँची]]'स्तूप' एक गुम्बदाकार भवन होता था, जो [[महात्मा बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। [[स्तूप]] का शाब्दिक अर्थ है- 'किसी वस्तु का ढेर'। स्तूप का विकास ही संभवतः [[मिट्टी]] के ऐसे चबूतरे से हुआ, जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं- जन्म, सम्बोधि, | ||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|बुद्ध स्तूप, साँची]]'स्तूप' एक गुम्बदाकार भवन होता था, जो [[महात्मा बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। [[स्तूप]] का शाब्दिक अर्थ है- 'किसी वस्तु का ढेर'। स्तूप का विकास ही संभवतः [[मिट्टी]] के ऐसे चबूतरे से हुआ, जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं- जन्म, सम्बोधि, धर्मचक्रप्रवर्तन तथा [[निर्वाण]] से सम्बन्धित स्थानों पर भी स्तूपों का निर्माण किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]] | ||
{गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है? | {गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है? | ||
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-[[लता मंगेशकर]] | -[[लता मंगेशकर]] | ||
+[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | +[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | ||
||[[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी' को | ||[[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी' को 'कर्नाटक संगीत' का पर्याय माना जाता है। वह [[भारत]] की ऐसी पहली गायिका थीं, जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। उनके गाये हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। [[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] ने जब [[संयुक्त राष्ट्र]] की असेम्बली में अपना गायन पेश किया था, तो प्रसिद्ध पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' ने लिखा था कि "वे अपने संगीत के द्वारा पश्चिम के श्रोताओं से जो सम्पर्क स्थापित करती हैं, उसके लिए यह आवश्यक नहीं कि श्रोता उनके शब्दों का अर्थ समझें।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | ||
{[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है? | {[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है? | ||
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-[[अकबर]] | -[[अकबर]] | ||
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||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण यह भी था कि प्रकृति का [[हृदय]] से आनंद लेता था। [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य को परखना और बोधात्मक रुचि से वह सम्पन्न था। स्वयं [[चित्रकार]] होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका ' | ||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण यह भी था कि वह प्रकृति का [[हृदय]] से आनंद लेता था। [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य को परखना और बोधात्मक रुचि से वह सम्पन्न था। स्वयं [[चित्रकार]] होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका 'तुजूक-ए-जहाँगीरी' संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण [[अभिलेख]] था- "यदि मै अपनी प्रेयसी का चेहरा पुनः देख पाता, तो क़यामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता रहता।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||
{[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था? | {[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था? | ||
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-[[चण्डीगढ़]] | -[[चण्डीगढ़]] | ||
-[[इलाहाबाद]] | -[[इलाहाबाद]] | ||
||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]'लखनऊ' को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' कहा जाता था। इस शहर को 'पूर्व का | ||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]'लखनऊ' को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' कहा जाता था। इस शहर को 'पूर्व का स्वर्णनगर' और 'शिराज-ए-हिंद' के रूप में भी जाना जाता था। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध]] के नवाबों के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में सुरक्षित है। [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[मुग़ल कालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]] | ||
{[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? | {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? | ||
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- | -अग्निमन्दिर | ||
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-[[देवीपाटन]] | -[[देवीपाटन]] | ||
||'कौशांबी' [[महात्मा बुद्ध]] के काल की परम प्रसिद्ध नगरी थी, जो [[वत्स जनपद|वत्स देश]] की राजधानी थी। इसका अभिज्ञान तहसील मंझनपुर, [[इलाहाबाद ज़िला|ज़िला इलाहाबाद]] में [[प्रयाग]] से 24 मील {{मील|मील=24}} पर स्थित 'कोसम' नाम के ग्राम से किया गया है। यह नगरी [[यमुना नदी]] पर बसी हुई थी। [[कौशांबी]] से एक कोस उत्तर-पश्चिम में एक छोटी पहाड़ी थी, जिसकी [[प्लक्षगुहा|प्लक्ष]] नामक गुहा में [[बुद्ध]] कई बार आए थे। [[जैन]] ग्रंथों में भी कौशांबी का उल्लेख मिलता है। एक कथा में [[जैन]] भिक्षुणी 'चंदना' का उल्लेख है, जो भिक्षुणी बनने से पूर्व कौशांबी के एक व्यापारी धनावह के हाथों बेच दी गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौशांबी]] | ||'कौशांबी' [[महात्मा बुद्ध]] के काल की परम प्रसिद्ध नगरी थी, जो [[वत्स जनपद|वत्स देश]] की राजधानी थी। इसका अभिज्ञान तहसील मंझनपुर, [[इलाहाबाद ज़िला|ज़िला इलाहाबाद]] में [[प्रयाग]] से 24 मील {{मील|मील=24}} पर स्थित '[[कोसम]]' नाम के ग्राम से किया गया है। यह नगरी [[यमुना नदी]] पर बसी हुई थी। [[कौशांबी]] से एक कोस उत्तर-पश्चिम में एक छोटी पहाड़ी थी, जिसकी [[प्लक्षगुहा|प्लक्ष]] नामक गुहा में [[बुद्ध]] कई बार आए थे। [[जैन]] ग्रंथों में भी कौशांबी का उल्लेख मिलता है। एक कथा में [[जैन]] भिक्षुणी 'चंदना' का उल्लेख है, जो भिक्षुणी बनने से पूर्व कौशांबी के एक व्यापारी धनावह के हाथों बेच दी गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौशांबी]] | ||
{[[जैन]] [[तीर्थंकर]] [[महावीर]] का प्रथम अनुयायी कौन था? | {[[जैन]] [[तीर्थंकर]] [[महावीर]] का प्रथम अनुयायी कौन था? | ||
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-[[ओणम]] | -[[ओणम]] | ||
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||[[चित्र:Mustard.jpg|right|120px|सरसों का खेत]]'बसंत पंचमी' के पर्व से ही '[[बसंत ऋतु]]' का आगमन होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। पत्रपटल तथा [[पुष्प]] खिल उठते हैं। स्त्रियाँ [[पीला रंग|पीले रंग]] के वस्त्र पहन, [[बसंत पंचमी]] के इस दिन के सौन्दर्य को और भी अधिक बढ़ा देती हैं। लोकप्रिय खेल पतंगबाजी बसंत पंचमी से ही जुड़ा है। इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री | ||[[चित्र:Mustard.jpg|right|120px|सरसों का खेत]]'बसंत पंचमी' के पर्व से ही '[[बसंत ऋतु]]' का आगमन होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। पत्रपटल तथा [[पुष्प]] खिल उठते हैं। स्त्रियाँ [[पीला रंग|पीले रंग]] के वस्त्र पहन, [[बसंत पंचमी]] के इस दिन के सौन्दर्य को और भी अधिक बढ़ा देती हैं। लोकप्रिय खेल पतंगबाजी बसंत पंचमी से ही जुड़ा है। इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री [[सरस्वती देवी]] की [[पूजा]] और आराधना की जाती है। बसंत पंचमी पर न केवल पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, अपितु खाद्य पदार्थों में भी पीले [[चावल]], पीले लड्डू व [[केसर]] युक्त खीर का उपयोग किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बसंत पंचमी]] | ||
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09:19, 29 नवम्बर 2012 का अवतरण
कला और संस्कृति
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