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'''अमृता शेरगिल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amrita Sher Gil'', जन्म: [[30 जनवरी]], [[1913]] मृत्यु: [[5 दिसम्बर]], [[1941]]) ख़ूबसूरत चित्रकारी करने वाले [[चित्रकार|चित्रकारों]] में से एक थीं। अमृता शेरगिल ने कैनवास पर [[भारत]] की एक नई तस्वीर उकेरी। अपनी पेंटिंग्स के बारे में अमृता का कहना था- 'मैंने भारत की [[आत्मा]] को एक नया रूप दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ विषय का नहीं, बल्कि तकनीकी भी है।' अमृता ने इस प्रकार के यथार्थवादी चित्रों की रचना की थी, जिनकी सारे संसार में चर्चा हुई।
'''अमृता शेर-गिल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amrita Sher-Gil'', जन्म: [[30 जनवरी]], [[1913]] मृत्यु: [[5 दिसम्बर]], [[1941]]) ख़ूबसूरत चित्रकारी करने वाले [[चित्रकार|चित्रकारों]] में से एक थीं। अमृता शेरगिल ने कैनवास पर [[भारत]] की एक नई तस्वीर उकेरी। अपनी पेंटिंग्स के बारे में अमृता का कहना था- 'मैंने भारत की [[आत्मा]] को एक नया रूप दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ विषय का नहीं, बल्कि तकनीकी भी है।' अमृता ने इस प्रकार के यथार्थवादी चित्रों की रचना की थी, जिनकी सारे संसार में चर्चा हुई।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
अमृता शेरगिल मजीठा के उमराव सिंह शेरगिल की पुत्री थीं। उनका जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सन 1913 में हुआ था। उनकी [[माता]] एक हंगिरियन महिला थीं। उमराव सिंह जब [[फ़्रांस]] गए तो उन्होंने अपनी पुत्री की शिक्षा के लिए पेरिस में प्रबंध किया। जब वे पेरिस के एक प्रसिद्ध आर्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं तो उनके मन में अपने कुछ सम्बन्धियों के कारण [[भारत]] आने की इच्छा जागृत हुई। [[1921]] में उन्होंने [[इटली]] के फ़्लोरेन्स नगर में चित्रकला की शिक्षा ली, वहाँ उन्होंने एक नग्न महिला का चित्रण किया था। इसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। वे अब तक अनुभव कर चुकी थीं कि उनके जीवन का वास्तविक ध्येय चित्रकार बनना ही है। इसलिए वे पेरिस में आकर पुन: शिक्षा प्राप्त करने लगीं। धीरे-धीरे उनके जीवन में हंगरी की [[चित्रकला]] का प्रभाव कम होता गया और उनका रुझान वास्तविकता की ओर बढ़ने लगा, जिसका प्रमाण उनके चित्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। 'एक युवक सेब लिय हुए' और 'आलू छीलने वाला' आदि उनके प्रमुख चित्र हैं।
अमृता शेरगिल मजीठा के उमराव सिंह शेरगिल की पुत्री थीं। उनका जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सन 1913 में हुआ था। उनकी [[माता]] एक हंगिरियन महिला थीं। उमराव सिंह जब [[फ़्रांस]] गए तो उन्होंने अपनी पुत्री की शिक्षा के लिए पेरिस में प्रबंध किया। जब वे पेरिस के एक प्रसिद्ध आर्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं तो उनके मन में अपने कुछ सम्बन्धियों के कारण [[भारत]] आने की इच्छा जागृत हुई। [[1921]] में उन्होंने [[इटली]] के फ़्लोरेन्स नगर में चित्रकला की शिक्षा ली, वहाँ उन्होंने एक नग्न महिला का चित्रण किया था। इसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। वे अब तक अनुभव कर चुकी थीं कि उनके जीवन का वास्तविक ध्येय चित्रकार बनना ही है। इसलिए वे पेरिस में आकर पुन: शिक्षा प्राप्त करने लगीं। धीरे-धीरे उनके जीवन में हंगरी की [[चित्रकला]] का प्रभाव कम होता गया और उनका रुझान वास्तविकता की ओर बढ़ने लगा, जिसका प्रमाण उनके चित्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। 'एक युवक सेब लिय हुए' और 'आलू छीलने वाला' आदि उनके प्रमुख चित्र हैं।
====भारत आगमन====
====भारत आगमन====
[[चित्र:Amrita with Indira 1922.jpg|thumb|अमृता शेरगिल और इनकी बहन इंदिरा|left]]
[[भारत]] आने के बाद अमृता ने [[शिमला]] में अपना स्टूडियो प्रारम्भ किया और जिस प्रकार अपना स्वरूप बदलकर उसे भारतीय नारी का बनाया, उसी प्रकार ऐसे अन्यतम चित्रों की रचना की, जिसके कारण उनकी ख्याति बहुत जल्दी फैलने लगी। वे अपने भारतीय मूल को जागृत करना चाहती थीं। [[1936]] में उन्होंने [[अजन्ता]] का दौरा किया, तो उनके चित्रण में फिर से बदलाव आया। उन्होंने लम्बे चौड़े चित्रों की बजाए छोटे वास्तविक चित्रण का निर्माण प्रारम्भ किया। इस प्रकार उन्होंने '[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]]' को भी एक नई दिशा देकर प्रभावित किया। उनके बहुत से चित्र [[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर]] और चुग़ताई के कार्य से प्रभावित दिखाई देते हैं।
[[भारत]] आने के बाद अमृता ने [[शिमला]] में अपना स्टूडियो प्रारम्भ किया और जिस प्रकार अपना स्वरूप बदलकर उसे भारतीय नारी का बनाया, उसी प्रकार ऐसे अन्यतम चित्रों की रचना की, जिसके कारण उनकी ख्याति बहुत जल्दी फैलने लगी। वे अपने भारतीय मूल को जागृत करना चाहती थीं। [[1936]] में उन्होंने [[अजन्ता]] का दौरा किया, तो उनके चित्रण में फिर से बदलाव आया। उन्होंने लम्बे चौड़े चित्रों की बजाए छोटे वास्तविक चित्रण का निर्माण प्रारम्भ किया। इस प्रकार उन्होंने '[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]]' को भी एक नई दिशा देकर प्रभावित किया। उनके बहुत से चित्र [[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर]] और चुग़ताई के कार्य से प्रभावित दिखाई देते हैं।
==यथार्थवादी चित्रकारी==
==यथार्थवादी चित्रकारी==
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अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ था, लेकिन उनकी पेंटिंग्स [[भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति]] और उसकी [[आत्मा]] का बेहतरीन नमूना हैं। इनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर [[दिल्ली]] की 'नेशनल गैलेरी में सहेजा गया है। अमृता जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही उनकी पेंटिंग्स में नफासत भी थी। उनकी पेंटिंग 'यंग गर्ल्स' को पेरिस में 'एसोसिएशन ऑफ़ द ग्रैंड सैलून' तक पहुँचने का मौक़ा मिला। यहाँ पर अमृता की चित्रकारी की प्रदर्शनी लगी थी। यहाँ तक पहुँचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रही थीं। यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार थीं।
अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ था, लेकिन उनकी पेंटिंग्स [[भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति]] और उसकी [[आत्मा]] का बेहतरीन नमूना हैं। इनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर [[दिल्ली]] की 'नेशनल गैलेरी में सहेजा गया है। अमृता जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही उनकी पेंटिंग्स में नफासत भी थी। उनकी पेंटिंग 'यंग गर्ल्स' को पेरिस में 'एसोसिएशन ऑफ़ द ग्रैंड सैलून' तक पहुँचने का मौक़ा मिला। यहाँ पर अमृता की चित्रकारी की प्रदर्शनी लगी थी। यहाँ तक पहुँचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रही थीं। यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार थीं।


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==चित्र वीथिका==
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चित्र:Bride's Toilet, 1937, by Amrita Sher-Gil.jpg|शौचालय में दुल्हन
चित्र:Camels, 1941, by Amrita Sher-Gil.jpg|ऊंट
चित्र:Hill Women, a 1935 painting by Amrita Sher-Gil.jpg|पहाड़ी औरतें
चित्र:Hungarian Market Scene, 1938, a painting by Amrita Sher-Gil.jpg|बाज़ार का दृश्य, हंगरी
चित्र:Three Girls, by Amrita Sher-Gil, 1935.jpg|तीन लड़कियाँ
चित्र:Tribal Women, a 1938 painting by Amrita Sher-Gil.jpg|आदिवासी महिला
चित्र:Two Elephants, by Amrita Sher-Gil, ca 1940.jpg|दो हाथी
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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14:43, 2 दिसम्बर 2012 का अवतरण

अमृता शेरगिल
अमृता शेरगिल
अमृता शेरगिल
पूरा नाम अमृता शेरगिल
जन्म 30 जनवरी, 1913
जन्म भूमि बुडापेस्ट, हंगरी
मृत्यु 5 दिसम्बर, 1941 (उम्र- 28)
मृत्यु स्थान लाहौर, पाकिस्तान
पति/पत्नी डॉ. विक्टर इगान
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र चित्रकारी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी इनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर दिल्ली की 'नेशनल गैलेरी' में सहेजा गया है।

अमृता शेर-गिल (अंग्रेज़ी: Amrita Sher-Gil, जन्म: 30 जनवरी, 1913 मृत्यु: 5 दिसम्बर, 1941) ख़ूबसूरत चित्रकारी करने वाले चित्रकारों में से एक थीं। अमृता शेरगिल ने कैनवास पर भारत की एक नई तस्वीर उकेरी। अपनी पेंटिंग्स के बारे में अमृता का कहना था- 'मैंने भारत की आत्मा को एक नया रूप दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ विषय का नहीं, बल्कि तकनीकी भी है।' अमृता ने इस प्रकार के यथार्थवादी चित्रों की रचना की थी, जिनकी सारे संसार में चर्चा हुई।

जन्म तथा शिक्षा

अमृता शेरगिल मजीठा के उमराव सिंह शेरगिल की पुत्री थीं। उनका जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सन 1913 में हुआ था। उनकी माता एक हंगिरियन महिला थीं। उमराव सिंह जब फ़्रांस गए तो उन्होंने अपनी पुत्री की शिक्षा के लिए पेरिस में प्रबंध किया। जब वे पेरिस के एक प्रसिद्ध आर्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं तो उनके मन में अपने कुछ सम्बन्धियों के कारण भारत आने की इच्छा जागृत हुई। 1921 में उन्होंने इटली के फ़्लोरेन्स नगर में चित्रकला की शिक्षा ली, वहाँ उन्होंने एक नग्न महिला का चित्रण किया था। इसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। वे अब तक अनुभव कर चुकी थीं कि उनके जीवन का वास्तविक ध्येय चित्रकार बनना ही है। इसलिए वे पेरिस में आकर पुन: शिक्षा प्राप्त करने लगीं। धीरे-धीरे उनके जीवन में हंगरी की चित्रकला का प्रभाव कम होता गया और उनका रुझान वास्तविकता की ओर बढ़ने लगा, जिसका प्रमाण उनके चित्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। 'एक युवक सेब लिय हुए' और 'आलू छीलने वाला' आदि उनके प्रमुख चित्र हैं।

भारत आगमन

अमृता शेरगिल और इनकी बहन इंदिरा

भारत आने के बाद अमृता ने शिमला में अपना स्टूडियो प्रारम्भ किया और जिस प्रकार अपना स्वरूप बदलकर उसे भारतीय नारी का बनाया, उसी प्रकार ऐसे अन्यतम चित्रों की रचना की, जिसके कारण उनकी ख्याति बहुत जल्दी फैलने लगी। वे अपने भारतीय मूल को जागृत करना चाहती थीं। 1936 में उन्होंने अजन्ता का दौरा किया, तो उनके चित्रण में फिर से बदलाव आया। उन्होंने लम्बे चौड़े चित्रों की बजाए छोटे वास्तविक चित्रण का निर्माण प्रारम्भ किया। इस प्रकार उन्होंने 'भारतीय चित्रकला' को भी एक नई दिशा देकर प्रभावित किया। उनके बहुत से चित्र अवनीन्द्रनाथ ठाकुर और चुग़ताई के कार्य से प्रभावित दिखाई देते हैं।

यथार्थवादी चित्रकारी

संसार में बहुत थोड़े व्यक्ति हुए हैं, जिन्होंने अपने छोटे से जीवन में अपने कार्यक्षेत्र को एक नयी दिशा देने के साथ-साथ ऐसे कार्य किए, जिनके कारण उनके नाम को इतिहास के पृष्ठों से पृथक करना अत्यन्त कठिन है। अमृता शेरगिल की विशेषता यह है कि उन्होंने चित्रकला के प्रारम्भिक काल में ऐसे यथार्थवादी चित्रों की रचना की, जिनकी संसार भर में चर्चा हुई। उन्होंने भारतीय ग्रामीण महिलाओं को चित्रित करने का और भारतीय नारी कि वास्तविक स्थिति को चित्रित करने का जो प्रयत्न किया, वह अत्यन्त सराहनीय है। उनके चित्रों की विविधता उस समय और भी बढ़ गई जब उन्होंने दक्षिण भारत का दौरा किया। 'दक्षिण भारतीय ब्रह्मचारी' और 'दक्षिण भारतीय ग्रामीण', 'बाज़ार की ओर जाते हुए', 'केले बेचने वाला' आदि ऐसे अनेक चित्र इस परिवर्तन को दिखाते हैं। उनका रुझान भारत की वास्तविक आधुनिकता की ओर था, न कि उस समय शांति निकेतन में चल रहे प्राचीन कला आंदोलन की ओर।

निधन

अमृता शेरगिल ने अपनी माता के एक सम्बन्धी से विवाह किया था, जिसका नाम विक्टर इगान था जो और पेशे से डॉक्टर था, परन्तु उनका वैवाहिक जीवन बहुत ही अल्पकालीन रहा। केवल 28 वर्ष की आयु में एक रहस्यपूर्ण रोग के कारण अमृता शेरगिल 'कोमा' में चली गईं और मध्य रात्रि के समय 5 दिसम्बर, 1941 ई. को उनकी मृत्यु हो गई। 28 वर्ष में ही उन्होंने इतना विविधतापूर्ण कार्य कर दिया था, जिसके कारण उन्हें 20वीं सदी के महत्त्वपूर्ण कलाकारों में गिना जाता है।

उपलब्धियाँ

अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ था, लेकिन उनकी पेंटिंग्स भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा का बेहतरीन नमूना हैं। इनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर दिल्ली की 'नेशनल गैलेरी में सहेजा गया है। अमृता जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही उनकी पेंटिंग्स में नफासत भी थी। उनकी पेंटिंग 'यंग गर्ल्स' को पेरिस में 'एसोसिएशन ऑफ़ द ग्रैंड सैलून' तक पहुँचने का मौक़ा मिला। यहाँ पर अमृता की चित्रकारी की प्रदर्शनी लगी थी। यहाँ तक पहुँचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रही थीं। यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार थीं।


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चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 44 |


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